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नोएडा में ईको-फ्रेंडली क्लासरूम का उद्घाटन, शुगरक्रीट तकनीक से होगा पर्यावरण संरक्षण, सांसद महेश शर्मा ने किया उद्घाटन

नोएडा में ईको-फ्रेंडली क्लासरूम का उद्घाटन, शुगरक्रीट तकनीक से होगा पर्यावरण संरक्षण।

सांसद महेश शर्मा ने किया उद्घाटन, गन्ने के कचरे से बनी टिकाऊ निर्माण सामग्री का प्रयोग

नोएडा, 06 मार्च 2025: पंचशील बालक इंटर कॉलेज, सेक्टर 91, नोएडा में शुगरक्रीट तकनीक से निर्मित ईको-फ्रेंडली क्लासरूम का उद्घाटन किया गया। इसका शुभारंभ गौतमबुद्ध नगर के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने किया।

शुगरक्रीट एक क्रांतिकारी निर्माण तकनीक है, जिसमें गन्ने के कचरे (बगास) और प्राकृतिक खनिज बाइंडर्स का उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक ईंटों की तुलना में हल्का, मजबूत और ऊर्जा कुशल है। इस तकनीक को भारत में केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी ने यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन के सस्टेनेबिलिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग से प्रस्तुत किया है।

कार्यक्रम के दौरान शुगरक्रीट के सह-निर्माता और यूईएल के एसोसिएट एलेन चांडलर ने इस तकनीक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण का भविष्य है।

ईंटों की जगह शुगरक्रीट क्यों?

सांसद महेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, "जब मैं पर्यावरण मंत्री था, तब भी टिकाऊ विकास के लिए कार्य करता था। आज इस पहल का हिस्सा बनकर खुशी हो रही है, क्योंकि यह प्रदूषण कम करने की दिशा में एक ठोस कदम है।"

उन्होंने बताया कि पारंपरिक ईंटें बनाने में जीवाश्म ईंधन जलाने से कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे कृषि भूमि की उर्वरता भी प्रभावित होती है। वहीं, शुगरक्रीट लो-कार्बन, किफायती और ऊर्जा-संरक्षण में सहायक है।

भारत हर साल 400 मिलियन टन से अधिक गन्ने का उत्पादन करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा बायोमास उत्पादक देश बन जाता है। शुगरक्रीट के माध्यम से इस अपशिष्ट का उपयोग कर एक हरित और सतत विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है

समारोह में कई गणमान्य अतिथि रहे उपस्थित

इस अवसर पर केशव वर्मा (चेयरमैन, हाईपावर कमेटी), सुनील सिंघल (अध्यक्ष, केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजी), आर. मोर (प्रोजेक्ट डायरेक्टर, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन), विभूति झा (डिविजन हेड, बायोएनर्जी), मनोज अवस्थी, मनोज टंडन (प्रधानाचार्य), सांसद प्रतिनिधि संजय बाली, रोहित कुमार और आर्किटेक्चर यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन के छात्र सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

शुगरक्रीट तकनीक पर्यावरण सुरक्षा, ऊर्जा संरक्षण और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह पहल एक हरित भारत की ओर कदम बढ़ाने का संकेत देती है।

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