मनोज कुमार तोमर ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स। देश में पारदर्शिता और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सूचना का अधिकार (RTI) और शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून बनाए गए हैं। ये दोनों कानून न केवल जनता को अधिकार देते हैं बल्कि भ्रष्टाचारियों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं हैं। यदि इनका सही से पालन किया जाए तो भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है और देश को एक नई दिशा मिल सकती है। लेकिन दुर्भाग्यवश, इन कानूनों को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा रहा है, जिससे इनके उद्देश्य कमजोर होते जा रहे हैं। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 एक ऐसा कानून है जो प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि वह सरकार से जानकारी प्राप्त कर सके। इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति सरकारी विभागों से सूचना मांग सकता है, जिससे सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहती है।
RTI के लाभ: भ्रष्टाचार पर रोक: इस कानून के तहत कई घोटाले उजागर हुए हैं, जिनमें करोड़ों रुपये के घपले सामने आए। इससे भ्रष्टाचारियों पर कानूनी शिकंजा कसना संभव हुआ। लोकतंत्र को मजबूत करना: जनता को अधिकार मिलना लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है। जनता की भागीदारी: नागरिक प्रशासन पर निगरानी रख सकते हैं और सरकारी योजनाओं की प्रगति की जांच कर सकते हैं।
RTI के सामने चुनौतियाँ: सूचना देने में देरी: कई बार सरकारी विभाग सूचना देने में देरी करते हैं या जानकारी अधूरी देते हैं, RTI कार्यकर्ताओं पर हमले: सच उजागर करने वाले कई कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं, जिससे इस कानून के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है। कानून में बदलाव: सरकारों द्वारा समय-समय पर किए गए संशोधन इस कानून को कमजोर बना रहे हैं।
RTE: शिक्षा का मौलिक अधिकार
शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है। यह कानून आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने का एक प्रयास है।
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