मनोज तोमर ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
शिक्षा में दान का महत्व
भारतीय समाज में शिक्षा को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। जब पारंपरिक दहेज प्रथा की बात होती है, तो अक्सर आर्थिक और भौतिक संपत्ति का आदान-प्रदान देखा जाता है। लेकिन बांबी भाटी ने अपनी पुत्री की लग्न पर शिक्षा के लिए दान देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा ही सबसे बड़ा दान है। इस अवसर पर दादरी तहसील के दुजाना गांव में डिग्री कॉलेज के निर्माण हेतु 51 लाख रुपये का दान किया गया है। इसी के साथ-साथ दादी सती मंदिर के विकास हेतु भी 51 लाख रुपये दान में शामिल किए गए हैं। इस प्रकार कुल दान राशि 1.02 करोड़ रुपये की हुई, जो समाज में शिक्षा और धार्मिक धरोहर के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
दान के पीछे की प्रेरणा और ऐतिहासिक चर्चा
बांबी भाटी ने कहा कि “शिक्षा के लिए किया गया दान भविष्य की नींव तैयार करता है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ सामाजिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनेंगी।” इस दान के पीछे का मूल उद्देश्य पारंपरिक दहेज प्रथा को एक नई दिशा देना है, जहाँ दहेज केवल भौतिक वस्तुओं का आदान-प्रदान न होकर समाज के विकास और शिक्षा के प्रति समर्पित योगदान बन सके। इस कदम ने ना केवल सामाजिक चर्चा को गर्म किया है, बल्कि कई विद्वानों और समाज सुधारकों द्वारा सराहना भी प्राप्त की है।
दुनिया भर में दान की परंपरा का आधुनिक संदर्भ
आज के समय में जब शिक्षा और कौशल विकास की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, तब ऐसे दान समाज में प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। बांबी भाटी द्वारा दिया गया यह दान न केवल वित्तीय सहयोग है, बल्कि यह भविष्य के लिए एक संदेश भी है कि आधुनिक समाज में शिक्षा का दान सबसे बड़ा दान माना जाना चाहिए। इस दिशा में किए गए प्रयासों से यह उम्मीद की जा रही है कि अन्य परिवार भी पारंपरिक दहेज प्रथा की तुलना में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक विकास को अधिक प्राथमिकता देंगे।
समुदाय की प्रतिक्रिया और आगे की योजनाएं
ग्राम मायचा, ग्रेटर नोएडा में आयोजित लग्न समारोह में यह दान चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। दुजाना गांव के निवासियों समेत फ्यूचर लाइन टाइम्स परिवार ने इस कदम की सराहना की है। विनोद नागर, पिता चौधरी नेपाल नागर के पोते शुभम नागर की लग्न पर यह दान दिया गया है, जिससे दोनों परिवारों में खुशी और उमंग की लहर दौड़ गई है। समाज के वरिष्ठ व्यक्ति और शिक्षाविद् इस दान की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि ऐसे कदम से न केवल शिक्षा का प्रसार होगा, बल्कि सामाजिक सुधार के लिए भी एक नई प्रेरणा मिलेगी।
आगे की राह और प्रेरणा का स्रोत
बांबी भाटी का यह कदम निश्चित ही अन्य परिवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि दान केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह समाज के प्रति एक जिम्मेदारी भी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में दान देने से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। इस ऐतिहासिक दान के चलते आने वाले दिनों में न केवल दुजाना गांव में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इसी प्रकार के उदार कदम देखने को मिल सकते हैं।
इस प्रकार, बांबी भाटी ने पारंपरिक दहेज प्रथा को पीछे छोड़ते हुए शिक्षा के लिए दान को अपना कर समाज में एक नई सोच का बीज बो दिया है। गांव दुजाना परिवार और राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाइम्स समाचार परिवार की तरफ़ से दोनों परिवारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, और आशा जताई जा रही है कि यह कदम आगे चलकर समाज में परिवर्तन की नई लहर लेकर आएगा।
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