मनोज कुमार तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
दिल्ली-एनसीआर सहित देश के अन्य नगरों और महानगरों में ऊंची-ऊंची इमारतें तो दिखती हैं, लेकिन इनमें रहने वाले लोग कम और खाली फ्लैट ज्यादा नजर आते हैं। बड़ी संख्या में ऐसे प्लॉट और मकान हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा। ये फ्लैट किसी काम के नहीं हैं, लेकिन इनके निर्माण में देश की बहुमूल्य संसाधनों, मजदूरों की मेहनत और अरबों रुपये खर्च किए गए हैं। फिर सवाल उठता है कि जब देश में लाखों लोग किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं या सड़क पर सोने के लिए विवश हैं, तो आखिर ये खाली पड़े फ्लैट और प्लॉट किसके हैं?आम आदमी एक घर खरीदकर संतुष्ट हो जाता है, लेकिन कुछ लोग हजारों-लाखों मकान और फ्लैट खरीद लेते हैं, जिनका इस्तेमाल तक नहीं किया जाता। इस तरह की संपत्तियां केवल निवेश के लिए खरीदी जाती हैं और सालों तक खाली पड़ी रहती हैं। इनका उपयोग किसी के रहने के लिए नहीं होता, बल्कि कीमत बढ़ने पर इसे बेचा जाता है। इसी कारण देश के कई शहरों में हजारों हाउसिंग सोसाइटी और सेक्टरों में बने फ्लैट बिना किसी उद्देश्य के खाली पड़े हैं। इन मकानों और प्लॉटों का कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा, जिससे देश के संसाधनों की बर्बादी हो रही है। इनमें सीमेंट, लोहा, लकड़ी और अन्य निर्माण सामग्री लगी है, जिनका बेहतर उपयोग हो सकता था। लाखों मजदूरों ने इन मकानों के निर्माण में पसीना बहाया, लेकिन ये आज बेकार पड़े हैं। सरकार को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि यह संपत्ति समाज के काम आ सके। सरकार को चाहिए कि वह इन खाली मकानों की पहचान करे और ऐसे कड़े कानून बनाए, जिससे इनका सदुपयोग हो सके। सरकार चाहे तो इनका अधिग्रहण कर इन्हें सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, अस्पतालों, या गरीबों के लिए किफायती आवास के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। इससे न केवल बेघर लोगों को घर मिलेगा, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति भी मजबूत होगी। अगर सरकार जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो यह राष्ट्रहित में एक बड़ा फैसला होगा। सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिससे कोई भी प्रॉपर्टी सालों तक बेकार न पड़ी रहे। यदि कोई फ्लैट या मकान लंबे समय तक खाली रहता है, तो सरकार उसे अपने उपयोग में ले सकती है। देश के शहरों में खाली पड़े मकानों और फ्लैटों की समस्या गंभीर होती जा रही है। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि यह सामाजिक असमानता को भी बढ़ा रहा है। जब करोड़ों लोग बेघर हैं, तब हजारों मकान खाली पड़े रहना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि राष्ट्र की संपत्ति का गलत उपयोग भी है। सरकार को जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश की संपत्ति का सही इस्तेमाल हो सके और हर नागरिक को उसका अधिकार मिल सके।
लेखक ओमवीर सिंह आर्य मुख्य संपादक राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स।
0 टिप्पणियाँ