रामानन्द तिवारी संवाददाता राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स नईं दिल्ली।
नई दिल्ली/प्रयागराज, 19 फरवरी 2025 – महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर श्री चित्रगुप्त अखाड़े के भव्य आयोजन में हजारों श्रद्धालु और संत महात्माओं की उपस्थिति में धर्म और कर्म की महत्ता पर प्रकाश डाला गया। अखाड़े के संस्थापक, सनातन सम्राट स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने सेक्टर 18, प्रयागराज में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में सनातन धर्म की रक्षा और राष्ट्र कल्याण का संदेश दिया।
श्री चित्रगुप्त अखाड़े की स्थापना और उद्देश्य
स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने बताया कि श्री चित्रगुप्त अखाड़े की स्थापना 12 जनवरी 2025 को संत महासभा (S/OO538/NE) के अंतर्गत स्वामी विवेकानंद और महर्षि महेश योगी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर हजारों संतों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में की गई।
अखाड़े के प्रमुख उद्देश्य:
- स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी को संस्कारित और राष्ट्रभक्त बनाना।
- महर्षि महेश योगी के सिद्धांतों को आत्मसात कर अध्यात्म को जन-जन तक पहुंचाना।
- सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान देना।
- भगवान चित्रगुप्त जी की महिमा का प्रचार-प्रसार और उनके न्याय सिद्धांतों को समाज में स्थापित करना।
- युवा पीढ़ी को चरित्रवान बनाना, शिक्षा और नैतिकता का प्रसार करना।
- न्याय और सत्य का संदेश फैलाने के लिए हर न्यायालय और प्रतिष्ठानों में भगवान चित्रगुप्त जी की तस्वीर लगाने की मांग।
स्वर्ग, मोक्ष और कर्म का महत्व
स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को अपने कर्मों पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि भगवान चित्रगुप्त जी हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। उन्होंने कहा कि यदि लोग अपने कर्मों को सुधार लें तो यह धरती स्वर्ग बन सकती है। महाकुंभ स्नान का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
आचार्य, महामंडलेश्वर और महंतों की नियुक्ति
महाकुंभ के इस ऐतिहासिक आयोजन में श्री चित्रगुप्त अखाड़े द्वारा सनातन धर्म की रक्षा के लिए अनेक संतों को जगतगुरु, आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, श्री महंत और महंत के पद पर प्रतिष्ठित किया गया।
नव नियुक्त पूज्य संत:
- जगतगुरु चित्रगुप्ताचार्य स्वामी सच्चिदानंद चित्रगुप्त जी महाराज
- जगतगुरु शिवाचार्य गुरु मां साध्वी श्री विश्वरूपा जी महाराज
- जगतगुरु दुर्गाचार्य साध्वी कंचन भवानी चित्रगुप्त जी महाराज
- महामंडलेश्वर स्वामी सुरेशानंद चित्रगुप्त जी महाराज
- महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. तारासुत मनुश्री सिद्धनाथ चित्रगुप्त जी महाराज
- महामंडलेश्वर डॉ. शिवानंद चित्रगुप्त जी महाराज
- महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी राजेश्वरानंद चित्रगुप्त जी महाराज
- महामंडलेश्वर आचार्य श्री कान्हा चित्रगुप्त जी महाराज
- श्री महंत डॉ. गोविंद नारायण चित्रगुप्त जी महाराज
- श्री महंत हरिओमानंद चित्रगुप्त जी महाराज
इन सभी संतों को वैदिक मंत्रों, तिलक, चादर और शंख जलाभिषेक के साथ सम्मानित किया गया।
महाकुंभ में भव्य स्नान और राष्ट्र कल्याण का संकल्प
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर श्री चित्रगुप्त अखाड़े के संतों, भक्तों और कार्यकर्ताओं ने त्रिवेणी संगम में भव्य स्नान किया। इस दौरान सभी ने राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा, जीव रक्षा और विश्व कल्याण का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के दौरान गगनभेदी नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा:
"धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो!"
"सनातन धर्म की जय हो!"
"भारत माता की जय!"
महाकुंभ में विशिष्ट अतिथियों का सम्मान
श्री चित्रगुप्त अखाड़े द्वारा कई गणमान्य व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख हैं:
- केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. सुशील सिन्हा जी
- डॉ. हरप्रीत सिंह कोचर
- डॉ. रचना गर्ग
- उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अनुपम मिश्रा
- प्रदेश संगठन मंत्री राजकुमार सिंह
- शिल्पा स्वरूप (कार्यालय मंत्री)
- अजय सक्सेना (सचिव)
- मनोज सक्सेना (सह सचिव)
स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का संदेश
सनातन सम्राट स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने कहा कि श्री चित्रगुप्त अखाड़ा केवल संतों और साधुओं का अखाड़ा नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए खुला है। उन्होंने सभी राष्ट्र प्रेमियों, धर्म प्रेमियों और समाजसेवकों को इस पवित्र अभियान का हिस्सा बनने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना ही हमारा लक्ष्य है। इसके लिए हम भेदभाव समाप्त कर, सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलते हुए सनातन धर्म को पुनः गौरवशाली बनाएंगे।
समापन और भविष्य की योजनाएँ
कार्यक्रम का संचालन उत्तर प्रदेश हिंदू महासभा के अध्यक्ष श्री अनुपम मिश्रा और संगठन मंत्री श्री राजकुमार सिंह ने किया।
भगवान सिंह डबास (श्री चित्रगुप्त अखाड़े के इंद्रप्रस्थ प्रवक्ता) ने जानकारी देते हुए कहा कि भविष्य में अखाड़ा युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की शिक्षा देने, सामाजिक सेवा और धर्म रक्षा के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाएगा।
इस महाकुंभ का यह आयोजन सनातन धर्म के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में याद किया जाएगा, जहां धर्म, कर्म और राष्ट्र रक्षा के संकल्प को मजबूती दी गई।
"सनातन धर्म की जय! जय श्री राम!"
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