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मकर संक्रांति के अवसर पर चिल्ला गांव के शिवमंदिर में किया गया विशाल भंडारे का आयोजन।

कमल प्रजापति संवाददाता राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स पुर्वी दिल्ली।
पुर्वी दिल्ली। हर वर्ष की भांति इस साल भी मकर संक्रांति के मौक़े पर दिल्ली के चिल्ला गांव स्थित शिवमंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। आज से वर्षो पहले प्रारम्भ की गई भंडारे की इस परम्परा में चिल्ला गांव व आसपास के क्षेत्रवासी आटा, चावल, दूध व नगद राशि के रूप में दान देते हैं। इस अवसर पर चिल्ला गांव जन कल्याण समिति के अध्यक्ष हितेंद्र डेढा ने बताया कि चिल्ला गांव के शिव एवं राधा कृष्ण मंदिरों का इतिहास बहुत प्राचीन रहा है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि वर्षो पहले बाबा महकुलाल नामक संत ने पक्षी विहार कालिंदी कुंज के निकट आकर अपनी कुटिया बनाई थी। कुछ वर्ष बाद चिल्ला गांव के लोगों ने बाबा की कुटिया पर जाकर बाबा से चिल्ला गांव के मन्दिर में आने की गुहार लगाई उसी समय से चिल्ला गांव में विशाल भंडारे की परम्परा की शुरुआत की गई जो आज भी जारी है। भंडारे में पूरी व्यवस्था देखने का कार्य इस वर्ष चिल्ला गांव धार्मिक एवं सांस्कृतिक विकास समिति देख रही है। मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले इस भंडारे से पहले 24 घंटो का सीताराम का पाठ किया जाता है इसके पश्चात् प्रातः काल में देशी घी के प्रसाद का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में उसका वितरण किया जाता है। हवन कीर्तन के पश्चात् कन्याओ को प्रसाद खिलाकर भंडारा शुरू किया जाता है। भंडारे में खीर, पूड़ी और सब्जी नीचे पत्तल पर बैठाकर खिलाई जाती है। श्री श्यामचंद ने बताया कि मकर संक्रांति पर भंडारा करने का विशेष महत्व है। हमारे शास्त्रों में भी इसका वर्णन निहित है।  मकर संक्रांति के दिन दान करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन ही माँ गंगा भगीरथ के पीछे चलती हुई कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर से जा मिली थी। मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हुए उत्तरायण हो जाते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहते हैं।

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