मनोज कुमार तोमर ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
ग्रेटर नोएडा। जिला गौतमबुद्ध नगर में सरकारी विभागों, तहसीलों, थाना, चौकी और जिला के प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेना न केवल अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैं, बल्कि इसे अपना कानूनी अधिकार मान बैठे हैं। ऐसे हालात में आम नागरिकों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी बार-बार चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
रिश्वत को बना लिया ‘नियम’!
शहर के तहसील और प्राधिकरण कार्यालयों में नागरिकों को अपने काम करवाने के लिए कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। थक-हारकर लोग मजबूरन रिश्वत का सहारा लेते हैं। आम शिकायत यह है कि काम बिना रिश्वत के पूरा ही नहीं होता। कई लोगों का कहना है कि रिश्वत देने से उनका काम तुरंत हो जाता है, जबकि बिना रिश्वत दिए फाइलें महीनों तक अटकाई जाती हैं।
फरियादी हो रहे परेशान।
कई नागरिकों ने बताया कि सरकारी कर्मचारी बार-बार फाइलों में गलतियां निकालते हैं और उन्हें बार-बार बुलाकर परेशान करते हैं। जब तक रिश्वत की राशि तय नहीं हो जाती, तब तक काम अधर में लटका रहता है। यह स्थिति सरकारी विभागों में एक आम समस्या बन चुकी है, जहां हर काम के लिए ‘गति शुल्क’ (रिश्वत) की मांग की जाती है।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए कड़े कदम जरूरी
गौतम बुद्ध नगर में रिश्वतखोरी का यह बढ़ता चलन न केवल सरकारी तंत्र पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी तोड़ रहा है। भ्रष्टाचार के इस चक्र को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करने और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
क्या कहती है जनता?
एक स्थानीय निवासी ने बताया, “सरकारी कार्यालयों में किसी भी काम के लिए रिश्वत देना अब आम हो गया है। चार बार चक्कर काटने से बेहतर है कि एक बार रिश्वत देकर काम करवा लिया जाए। यह स्थिति बेहद निराशाजनक है।” वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “हमारा काम करने के बदले रिश्वत मांगना अधिकारियों की आदत बन गई है। यह न केवल गलत है, बल्कि अवैध भी है।”
भ्रष्टाचार पर लगाम जरूरी।
इस बढ़ती रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन को त्वरित और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। नागरिकों का कहना है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक शिकायत तंत्र और सतर्कता विभाग की भूमिका को सशक्त बनाया जाना चाहिए। दोषी कर्मचारियों पर सख्त दंड लागू किया जाए, ताकि जनता का विश्वास फिर से बहाल हो सके।
गौतम बुद्ध नगर में भ्रष्टाचार का बढ़ता प्रभाव जनहित के लिए हानिकारक है। इसे रोकने के लिए प्रशासन और नागरिकों को मिलकर ठोस प्रयास करने होंगे, ताकि सरकारी तंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
लेखक ओमवीर सिंह आर्य
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