-->

गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार की शौर्यगाथा, जो इतिहास में अमर है

ताहिर अली संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गाजियाबाद।
छोटे साहिबजादों की शहादत: बलिदान और धर्म की अनमोल गाथा।
गाजियाबाद, 21-28 दिसंबर: दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी और उनके पूरे परिवार ने 21 दिसंबर से 28 दिसंबर तक अन्याय के खिलाफ जो बलिदान दिया, वह इतिहास में धर्म और साहस का अनुपम उदाहरण है।
22 दिसंबर को चमकौर की ऐतिहासिक लड़ाई में गुरु गोविंद सिंह जी और उनके 40 सिखों ने लाखों मुगल सैनिकों का सामना किया। इस युद्ध में उनके दो बड़े साहिबजादे, अजीत सिंह और जुझार सिंह, शहीद हो गए। गुरु जी के पांच प्यारे भी इस युद्ध में बलिदान हुए।
उसी समय, छोटे साहिबजादे फतेह सिंह (5 वर्ष) और जोरावर सिंह (7 वर्ष) को गंगू नामक ब्राह्मण ने धोखा देकर वजीर खान के हवाले कर दिया। 26 दिसंबर को इन मासूम बच्चों को सरहिंद में जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया। जब दीवार उनके सिर तक पहुंची, छोटे साहिबजादे फतेह सिंह ने बड़े भाई को ढांढस बंधाया, “मौत से मत डरना। हम धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो रहे हैं।” इस दुखद घटना के बाद माता गुजर कौर जी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। 28 दिसंबर को दीवान टोडर मल ने अपने सब कुछ बेचकर 78,000 सोने की मोहरों में जमीन खरीदकर इन शहीदों का अंतिम संस्कार किया। यह इतिहास में सबसे महंगी जमीन मानी जाती है।
गाजियाबाद सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार मनजीत सिंह ने कहा, "सिख धर्म अन्याय के खिलाफ खड़ा होने का प्रतीक है। साहिबजादों की कुर्बानी हमें धर्म, संस्कृति और सच्चाई के लिए जीने की प्रेरणा देती है।"
चिड़ियों से बाज लड़ाने वाले गुरु गोविंद सिंह जी के साहस और उनके परिवार की शहादत को पूरा देश श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ