नोएडा। नोएडा सेक्टर 66 के मामूरा गांव में अतिक्रमण की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही है। मेट्रो स्टेशन से लेकर गांव की मुख्य सड़कों और गलियों तक अवैध कब्जा कर ठेले, पटरी और दुकानें लगा दी गई हैं। इससे न केवल यातायात बाधित हो रहा है, बल्कि यहां रहने वाले लोगों के जीवन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों की भूमिका पर सवाल।
सुनने में आया है कि इस अतिक्रमण को बढ़ावा देने में कुछ स्थानीय लोग भी शामिल हैं। इन लोगों पर आरोप है कि वे पैसों के लालच में अपनी प्रॉपर्टी, घरों और सार्वजनिक स्थानों के सामने अतिक्रमण करवाते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इन स्थानीय लोगों की सांठगांठ अधिकारियों के साथ हो सकती है, जो अतिक्रमण करने वालों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। लोगों का कहना है कि संबंधित अधिकारी इस समस्या को जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
सरकार की नीतियों पर अमल का अभाव।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ऐसे अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर इन नीतियों का पालन होता नहीं दिख रहा है। अधिकारियों और अतिक्रमणकारियों के बीच संभावित गठजोड़ के आरोप लगाए जा रहे हैं। लोग डर के माहौल में जी रहे हैं और इन्हीं कारणों से कोई खुलकर बोलने या शिकायत करने की हिम्मत नहीं करता।
मामूरा RWA की निष्क्रियता।
गांव में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) होने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे लंबे समय से RWA से इन समस्याओं को हल करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
यहां तक कि कुछ लोगों का आरोप है कि RWA भी इस अतिक्रमण को बढ़ावा देने में शामिल हो सकती है या अतिक्रमणकारियों के साथ मिलीभगत कर रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि RWA की निष्क्रियता ने समस्या को और बढ़ा दिया है।
स्थानीय जनता का आक्रोश।
यातायात बाधा: सड़कों पर अवैध कब्जे के कारण एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाओं को भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
सुरक्षा पर खतरा: क्षेत्र में झगड़े और गुंडागर्दी आम हो गई है। स्वच्छता और स्वास्थ्य: गंदगी और कचरे की वजह से स्वच्छता की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
सरकार और प्रशासन से अपील।
स्थानीय लोग प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग कर रहे हैं कि:
1. अवैध अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए।
2. अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
3. RWA की निष्क्रियता की जांच कर इसे सक्रिय बनाया जाए।
4. गांव की स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
निष्कर्ष:- नोएडा के मामूरा गांव में अतिक्रमण न केवल एक कानूनी मुद्दा बन गया है, बल्कि यह सामाजिक और प्रशासनिक विफलता का भी प्रतीक है। जनता की परेशानियों को नजरअंदाज करना और दोषियों को संरक्षण देना सरकार की छवि पर भी सवाल खड़ा करता है। यह समय की मांग है कि इन समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
कुलदीप चौहान, पत्रकार
राष्ट्रीय दैनिक हिंदी समाचार पत्र - फ्यूचर लाइन टाईम्स, नोएडा।
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