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अंगदान पर देवबंद का फतवा: स्वामी चक्रपाणि का पलटवार, मुस्लिम समाज को बताया कट्टरपंथ का शिकार!

रामानन्द तिवारी संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स नई दिल्ली।
नई दिल्ली। देवबंद के प्रमुख मदरसा दारुल उलूम ने एक नया फतवा जारी किया है, जिसमें मुसलमानों द्वारा अंगदान को "अवैध" घोषित किया गया है। इस निर्णय की कड़ी निंदा करते हुए, अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने इसे "कट्टरपंथ का प्रतीक" बताया। उन्होंने मुस्लिम समाज में फैले इस तरह के विचारों पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह केवल संकीर्ण मानसिकता को प्रदर्शित करता है और समाज को तोड़ने वाला कदम है। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने एक बयान में कहा, "जो लोग अंगदान को गलत मानते हैं, उन्हें दूसरों के अंगों का लाभ उठाने का कोई हक नहीं है। हिंदू समाज को चाहिए कि वे अपने अंगदान केवल उन लोगों के लिए करें जो मानवता का आदर करते हैं और कट्टरपंथी सोच से दूर हैं।"
यह पहली बार नहीं है जब देवबंद द्वारा इस प्रकार का फतवा जारी किया गया हो। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फतवे समाज में एकता और भाईचारे को प्रभावित करते हैं और धार्मिकता की आड़ में कट्टरता को बढ़ावा देते हैं।
अंगदान का मुद्दा समाज में गहरी संवेदनशीलता रखता है, और इस प्रकार के फतवे से लोगों में भ्रम और संदेह उत्पन्न होता है। स्वामी चक्रपाणि महाराज का यह बयान लोगों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि अंगदान का असल उद्देश्य मानवता की सेवा है न कि धार्मिकता।
उन्होंने अंत में कहा कि समाज को इस प्रकार की कट्टरपंथी सोच से बचना चाहिए और एक समावेशी समाज की ओर बढ़ने की आवश्यकता है, जहां इंसानियत और करुणा सबसे ऊपर हो।

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