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भ्रष्टाचार में डूबे शिक्षा विभाग से ईमानदार और शिष्टाचारी पीढ़ी की उम्मीद बेकार: कर्मवीर नागर

भ्रष्टाचार में डूबे शिक्षा विभाग से ईमानदार और शिष्टाचारी पीढ़ी की उम्मीद बेकार: कर्मवीर नागर

आरटीई के तहत गरीब बच्चों को दाखिला न दिला पाना भी है भ्रष्टाचार का नतीजा।
दादरी। देश की शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य भावी पीढ़ी को नैतिकता, ईमानदारी, और शिष्टाचार के मार्ग पर चलाना है, लेकिन शिक्षा विभाग में फैला भ्रष्टाचार इस लक्ष्य को प्रभावित कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व बिसरख ब्लॉक प्रमुख कर्मवीर नागर का कहना है कि भ्रष्टाचार के कारण शिक्षा अधिकारी नियमों को लागू करने में असफल हो रहे हैं, जिससे सरकारी आदेशों का पालन सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है।
नागर के अनुसार, गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए बनाए गए आरटीई कानून का पालन कराने में शिक्षा विभाग पूरी तरह विफल साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को संचालित किया जा रहा है और शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी संस्थानों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं। यही कारण है कि सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क नियामक अधिनियम का भी पालन नहीं हो रहा।
गौतम बुद्ध नगर के शिक्षा विभाग का उदाहरण देते हुए नागर ने कहा कि यहां भी आरटीई के तहत गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने में विभाग लाचार दिखाई दे रहा है। जिले में कई गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल संचालित हो रहे हैं, जहां छात्रों से मोटी फीस लेकर बोर्ड परीक्षाओं के फॉर्म भरे जा रहे हैं। नागर ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते ये गतिविधियां बेरोक-टोक जारी हैं।
कर्मवीर नागर ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण हमारी संस्कृति और नैतिकता का प्रतीक है। लेकिन इस मंदिर के निर्माण का असली उद्देश्य तभी पूरा होगा जब हमारी नई पीढ़ी ईमानदारी, त्याग, और शिष्टाचार जैसे गुणों को अपनाएगी। उन्होंने शिक्षा विभाग में सुधार की जरूरत पर जोर दिया ताकि भविष्य में देश की कर्णधार पीढ़ी भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे बिना अपने कर्तव्यों का पालन कर सके।
शिक्षा विभाग में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए नागर ने सरकार से इसे जड़ से खत्म करने की अपील की। उनका मानना है कि यदि शिक्षा विभाग में ईमानदारी का माहौल नहीं बना तो भविष्य में ईमानदार और शिष्टाचारी पीढ़ी की उम्मीद करना निरर्थक होगा।

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