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योगी सरकार के सख्त आदेशों के बावजूद व्यापारियों की अनदेखी: स्वास्थ्य सुरक्षा पर मंडराता खतरा!

ओमवीर सिंह आर्य मुख्य संपादक दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स भारत।
भारत टाईम्स। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल ही में ढाबों, रेस्तरां, जूस और फल विक्रेताओं के मालिकों व संचालकों के नाम सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था, ताकि खाद्य व्यवसाय में पारदर्शिता और स्वच्छता सुनिश्चित की जा सके। यह कदम उन वीभत्स घटनाओं के बाद उठाया गया, जिनमें खाद्य पदार्थों में थूकने और अन्य गंदगी मिलाने के मामलों ने प्रदेश की जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा को सवालों के घेरे में ला दिया। मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में साफ निर्देश दिए कि सभी खाद्य व्यापारियों के नाम सार्वजनिक किए जाएं, कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए, और मास्क पहनने के नियम का पालन हो। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरों की स्थापना का भी आदेश दिया गया ताकि निगरानी और सुरक्षा पुख्ता हो सके।
कानून की अवहेलना से जनता की सुरक्षा खतरे में हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इन निर्देशों के बावजूद राज्य के कई जिलों और नगरों में व्यापारियों ने आदेश का पालन नहीं किया है। कई व्यापारी अपने व्यवसाय के बाहर मालिकों के नाम सार्वजनिक करने से परहेज कर रहे हैं, जो सरकार के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह रवैया न केवल सरकार के आदेशों की अवमानना है बल्कि आम जनता की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता भी दर्शाता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि जब सरकार ने स्पष्ट नियम लागू किए हैं, तो इनके पालन की जिम्मेदारी कौन लेगा? स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सरकार के ठोस कदम मुख्यमंत्री ने बढ़ते खाद्य प्रदूषण और अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए सख्त निर्देश दिए थे। उनका मानना है कि स्वच्छ और सुरक्षित भोजन हर नागरिक का अधिकार है, और इसके लिए सरकार कड़े नियम बनाकर व्यापारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहती है। प्रदेश में हाल की घटनाओं ने जनता में अविश्वास और आक्रोश का माहौल पैदा किया है, जिस कारण मुख्यमंत्री को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता पड़ी। आदेशों के अनुसार सभी व्यवसायों में कर्मचारियों के पुलिस वेरिफिकेशन, मास्क पहनने, और सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसे बुनियादी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि किसी भी असामाजिक गतिविधि पर अंकुश लगाया जा सके। व्यापारी वर्ग की मनमानी: क्या सख्त कार्रवाई से आएगा सुधार? व्यापारी वर्ग का एक वर्ग इस तरह के कदमों को अनावश्यक समझता है और उन्हें लागू करने में आनाकानी कर रहा है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो लोग इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे व्यापारियों के खिलाफ जुर्माना लगाने से लेकर लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई संभव है। सरकार का मानना है कि इन सख्त नियमों से न केवल स्वच्छता सुनिश्चित की जा सकेगी, बल्कि व्यापारी वर्ग की जवाबदेही भी बढ़ेगी।
क्या इन निर्देशों का पालन प्रभावी ढंग से हो पाएगा? यह एक यक्ष प्रश्न है कि क्या सरकार इस नियम को प्रदेश के हर जिले और नगर में प्रभावी रूप से लागू कर पाएगी। सरकार को इसे सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और इन निर्देशों का पालन कराने के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाए और नियमों की अवहेलना करने वाले व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
सार्वजनिक जागरूकता: आम जनता की भूमिका महत्वपूर्ण सरकार और प्रशासन की ओर से उठाए गए कदम तब तक सफल नहीं होंगे जब तक आम जनता इसमें सहयोग नहीं करती। जनता को भी ऐसे स्थानों से खरीददारी करते समय सजग रहना चाहिए और जिन दुकानों पर मालिकों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हों, उन पर खाद्य पदार्थ खरीदने से बचना चाहिए। जन जागरूकता और उपभोक्ता सजगता से भी इन नियमों के अनुपालन को प्रोत्साहन मिलेगा और स्वच्छ और सुरक्षित भोजन की दिशा में यह प्रयास सफल हो सकेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह आदेश प्रदेश में खाद्य सुरक्षा को लेकर गंभीरता को दर्शाता है, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए प्रशासनिक सख्ती और व्यापारी वर्ग का सहयोग आवश्यक है। स्वच्छता और पारदर्शिता के इस प्रयास को सफल बनाने के लिए जनता, व्यापारियों, और प्रशासन को एकजुट होकर काम करना होगा। केवल तभी प्रदेश की जनता को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन का अधिकार मिल सकेगा और इस प्रकार के सख्त नियमों का उद्देश्य साकार हो पाएगा।

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