ग्रेटर नोएडा। हर साल मनाया जाने वाला वर्ल्ड डायबिटीज़ डे, डायबिटीज के बढ़ते मामलों और इसके प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस अवसर पर फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज़ के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि पहले यह बीमारी केवल बुजुर्गों में पाई जाती थी, लेकिन अब यह युवाओं और किशोरों में भी तेजी से फैल रही है। इसके पीछे जीवनशैली, पर्यावरण और आनुवंशिक कारणों का मिश्रित प्रभाव है।डॉ. त्यागी ने बताया कि शहरी क्षेत्रों जैसे ग्रेटर नोएडा में, जहां निष्क्रिय जीवनशैली, खराब आहार, तनाव और प्रदूषण जैसी समस्याएं आम हैं, इन कारणों से डायबिटीज के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। डायबिटीज के लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, जिससे लोगों को यह समझने में समय लगता है कि उन्हें यह बीमारी हो सकती है। डॉ. त्यागी ने इसे समय पर पहचानने और इलाज की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जीवनशैली में बदलाव की जरूरत बताई, जिसमें फाइबर और प्रोटीन से भरपूर आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन शामिल हैं। इसके साथ ही, नई तकनीकी तरीकों से शुगर मॉनिटरिंग का इस्तेमाल भी रक्त शर्करा पर नियंत्रण रखने में सहायक हो सकता है।डॉ. त्यागी ने डायबिटीज के दो प्रमुख प्रकारों के बारे में जानकारी दी:
1. टाइप 1 डायबिटीज़: यह ऑटोइम्यून बीमारी मुख्य रूप से बच्चों और युवा वयस्कों में पाई जाती है। इस स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर देती है।
2. टाइप 2 डायबिटीज़: यह सबसे सामान्य प्रकार है, जो मुख्य रूप से मोटापे, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वस्थ आहार और आनुवंशिक कारणों के कारण होता है। यह तब होता है जब शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता या पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता।
डॉ. त्यागी ने इस बढ़ते स्वास्थ्य संकट के बारे में गंभीरता से विचार करते हुए सक्रिय कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर हम अब कदम नहीं उठाएंगे, तो भविष्य में डायबिटीज का प्रसार और अधिक बढ़ेगा इसलिए इससे बचाव के लिए हमें तुरंत कदम उठाने पड़ेंगे।
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