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वेव सिटी बिल्डर्स ने बड़ी चालाकी से किसानों को उनकी पुश्तैनी जमीन से किया वंचित!

ओमवीर सिंह आर्य मुख्य संपादक दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स हिंदी राष्ट्रवादी समाचार पत्र।
वेव सिटी: एक अभिशाप बना दुजाना गांव के लिए।
दो दशक पूर्व जब वेव सिटी के नाम से एक हाईटेक सिटी विकसित करने का सपना दिखाया गया था, तो दुजाना गांव के किसानों ने इसे विकास की किरण समझा। वेव सिटी बिल्डर्स ने इस परियोजना के तहत बड़े-बड़े वादे किए और किसानों की जमीन खरीदने के लिए बेहद कम दाम का प्रस्ताव रखा। उस समय यह परियोजना कई किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर आई, जिसमें आर्थिक समृद्धि और भविष्य का सपना शामिल था। लेकिन आज, वेव सिटी बिल्डर्स के कृत्य दुजाना गांव के लिए अभिशाप बन गए हैं।
वेव सिटी बिल्डर्स ने बड़ी चालाकी से किसानों को कम दाम पर उनकी पुश्तैनी जमीन से वंचित कर दिया। उस समय भूमि की दरें इतनी कम तय की गईं कि किसानों को जो मुआवजा मिला, वह बाजार दर से भी कहीं नीचे था। मुआवजे की राशि, एक साधारण मीटर का भी मूल्य नहीं निकाल पाई। इस प्रकार, बिल्डर्स ने बाइपास नीतियों और कमजोर सरकारी निगरानी का लाभ उठाकर किसानों को उनकी उपजाऊ जमीन से अलग कर दिया।
दुजाना गांव, जो कभी अपनी उपजाऊ कृषि भूमि के लिए जाना जाता था, अब बंजर भूमि में तब्दील हो चुका है। जिन खेतों में कभी अनाज की फसल लहलहाती थी, अब वहां आवारा पशु विचरण करते हैं। किसानों की भूमि छीनने के बाद बिल्डर ने इसे असंवेदनशील रूप से छोड़ दिया, जिससे वहां की भूमि की उर्वरता खत्म हो गई। जो किसान अपनी भूमि नहीं देना चाहते थे, उनकी फसलें भी आवारा पशुओं द्वारा उजाड़ दी गईं। हाईटेक सिटी का सपना दिखाने वाले बिल्डर्स ने न तो आज तक उस भूमि पर कोई निर्माण किया है, और न ही दुजाना गांव के विकास में एक भी रुपया खर्च किया है। नियमानुसार, किसी भी परियोजना को उस क्षेत्र के विकास के लिए कुछ न कुछ योगदान देना चाहिए, जैसे सड़कें, सीवर, जल निकासी, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र आदि, लेकिन बिल्डर्स ने ऐसी किसी भी सुविधा की तरफ ध्यान नहीं दिया। उनके करोड़ों के लैंड बैंक में दुजाना की भूमि केवल बंद पड़ी हुई है, जिसमें गांव के निवासियों को लाभ मिलना तो दूर, नुकसान ही नुकसान हो रहा है।
दुजाना गांव की इस बर्बादी के लिए वेव सिटी बिल्डर्स के साथ-साथ सरकारी नीतियां और प्रशासनिक उपेक्षा भी जिम्मेदार हैं। यदि सरकार ने सही नीतियों का पालन करवाया होता और समय पर निगरानी रखी होती, तो किसानों को इस तरह से धोखे का सामना नहीं करना पड़ता। वर्तमान में गांव के किसान पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहे हैं, और सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उनके पास कोई ठोस विकल्प नहीं है। किसानों ने जब स्थिति की गंभीरता को समझा, तो उन्होंने बिल्डर्स के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्हें शांत करने के लिए बिल्डर्स ने झूठे आश्वासनों का सहारा लिया और एक छोटी सी रियायत का वादा किया—कुछ प्रतिशत प्लॉट देने का। लेकिन वह वादा भी एक दिखावा निकला। आज तक किसी भी किसान को प्लॉट नहीं मिला है। किसानों के इस संघर्ष का परिणाम शून्य रहा, और वे न्याय की आस में अब भी भटक रहे हैं।
अब समय आ गया है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे को संज्ञान में ले। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वेव सिटी बिल्डर्स जैसे अनैतिक बिल्डर्स के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह न केवल किसानों को उनका हक दिलवाए, बल्कि ऐसे बिल्डर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी सुनिश्चित करे जो जमीन के नाम पर गांवों के विकास के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
दुजाना गांव के किसानों के लिए वेव सिटी एक अभिशाप बन चुका है। उनके पुश्तैनी खेतों को बंजर बनाकर, आवारा पशुओं का अड्डा बनाकर, और विकास के नाम पर उन्हें धोखा देकर बिल्डर्स ने इस गांव की समृद्धि और किसानों के आत्म-सम्मान को बुरी तरह से प्रभावित किया है। यदि सरकार इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं करती है, तो यह गांव ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए एक बुरी मिसाल बनेगा। दुजाना के किसान अब योगी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वे उनकी जमीन और उनके हक की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएंगे और इस अभिशाप से उन्हें मुक्ति दिलाएंगे।

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