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संदेश ने किया वर्मीकम्पोस्ट व मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण का आयोजन ।



मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाइम ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 

ग्रेटर नोएडा।डाबर की सहयोगी स्वयं सेवी संस्था सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसाइटी संदेश द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने व रोजगार परक खेती के उद्देश्य से वर्मी कम्पोस्ट व मसरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संदेश की सचिव पूनम सिंह परिहार ने किसान भाइयों को बताया कि आजकल खेती में महंगे रसायनिक खादों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। तथा खर्च भी बहुत हो जाता है। इस तरह को खेती से कम कीमत की खाद का प्रयोग करके ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।हीलिंग फार्मर संस्था से आये प्रशिक्षक सौरभ त्यागी व  धीरज खन्ना ने किसान भाइयों को वर्मीकम्पोस्ट केचुए द्वारा निर्मित खाद बनाने की विधि को विस्तार से समझाया।वर्मीकंपोस्ट में पौधों के लिए ज़रूरी सभी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। इससे मिट्टी की संरचना सुधरती है और जल धारण क्षमता बढ़ती है।वर्मीकपोस्ट में मौजूद कार्बनिक पदार्थ, मिट्टी को नमी बनाए रखते हैं इससे मिट्टी में अम्लता कम होती है और क्षारीयता बढ़ती है। वर्मीकपोस्ट में मौजूद सूक्ष्मजीव, मिट्टी में मौजूद खतरनाक रोगाणुओं और बीमारियों को कम करते हैं। वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल करने से फसलों की पैदावार बढ़ती है।वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल करने से फल, सब्ज़ी, और अनाज की क्वालिटी में सुधार होता है। वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल करने से खेतों में खरपतवार कम उगते हैं।
वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल करने से पौधों में बीमारियां कम लगती हैं।वर्मीकंपोस्ट प्राकृतिक और सस्ती होती है। साथ ही मशरूम उत्पादन की प्रकिया को समझाते हुए बताया कि मशरूम उत्पादन में कम निवेश में अच्छा मुनाफ़ा होता है। मशरूम की खेती कम ज़मीन और संसाधनों में की जा सकती है  इसमें कम निवेश पर 20 गुना तक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।  मशरूम की खेती साल भर की जा सकती है। मशरूम का इस्तेमाल करने से हमारे स्वास्थ्य को बहुत ही लाभ मिलता है। मशरूम में फ़ाइबर, विटामिन-डी, प्रोटीन, ज़िंक, और सेलेनियम जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है और हड्डियों को मज़बूत बनाता है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मशरूम की खपत बढ़ रही है। वातावरण के अनुकूल: मशरूम की खेती से वातावरण को नुकसान नहीं होता। 
कुटीर उद्योगों का बढ़ावा: मशरूम की खेती से कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। मशरूम की खेती के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है. मशरूम की खेती के लिए, कमरे में बांस की झोंपड़ी बनाकर की जाती है। इस अवसर पर संस्था के सहायक प्रबन्धक राहुल सक्सेना, परियोजना समन्वयक ग्रामीण विकास संजीव भारद्वाज, अनुराग, गौरा, रुपेंद्र राणा व गांव नन्दपुर, सिवाया, समाना, कमरूद्दीन नगर, नगला छज्जू, उदयरामपुर नगला, चौना, सीदीपुर, प्यावली, आदि के किसानों ने भाग लिया।

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