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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: नकारात्मक धारणाओं से परे, सामाजिक परिवर्तन का वाहक

ओमवीर सिंह आर्य मुख्य संपादक दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स।
भारत टाईम्स। हाल ही में शरद पूर्णिमा के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नोएडा विभाग प्रचारक श्रीमान प्रवीर जी के साथ मंच साझा करने का अवसर मिला। इस विशेष अवसर पर शरद पूर्णिमा, पंचांग की विस्तृत चर्चा और राष्ट्र के प्रति उनकी समर्पण भावना को देखकर मन में एक विचार उत्पन्न हुआ: संघ की व्यापक व्याख्या को कई लोगों ने संकुचित और नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है, जो वास्तविकता से कोसों दूर है। संघ के विचारों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने से केवल भ्रम और गलतफहमी पैदा हुई है, जो राष्ट्र के हित में नहीं है।
आरएसएस अपने 100 वर्षों के अस्तित्व को मनाने के लिए न तो कोई भव्य उत्सव मना रहा है, न ही कोई एक्सट्रा पार्टी। बल्कि, संघ ने अपने स्वयंसेवकों को सामाजिक परिवर्तन के पांच महत्वपूर्ण आयामों पर काम करने के लिए प्रेरित किया है। ये पांच आयाम हैं: सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण, और नागरिक कर्तव्य। इन पंच प्रणों को ध्यान में रखते हुए संघ ने एक कार्य योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।
संघ का सबसे प्रमुख लक्ष्य सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। समाज में जाति, धर्म, और वर्ग के आधार पर विभेद को समाप्त करने के लिए संघ का लगातार प्रयास रहा है। श्रीमान प्रवीर जी ने विशेष रूप से अस्पृश्यता को समाज के लिए एक कलंक बताया और इसे मिटाने की संघ की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। संघ का यह मानना है कि जब तक समाज के सभी वर्गों में एकता और समरसता नहीं होगी, तब तक राष्ट्र का समग्र विकास संभव नहीं है।
संघ की भविष्य की योजना शाखा स्तर पर कार्य करने वाली टोलियों को पांच संकल्पों के आधार पर संगठित करने की है। इन संकल्पों में कुटुंब प्रबोधन पर जोर दिया गया है, जिसमें परिवारों को भारतीय मूल्यों और संस्कारों के साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण पर संघ का ध्यान है, जिसमें स्वयंसेवक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और प्लास्टिक मुक्त समाज के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं। स्वदेशी आचरण के अंतर्गत भारतीय उत्पादों और जीवनशैली को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त हो सके।
संघ नागरिकों के कर्तव्यों पर भी विशेष ध्यान देता है। यह संगठन केवल अधिकारों की बात नहीं करता, बल्कि नागरिकों को उनके कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक करता है। श्रीमान प्रवीर जी ने चर्चा में यह स्पष्ट किया कि राष्ट्र के प्रति सच्ची सेवा तभी संभव है जब हम अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाएं।
आजकल, कुछ लोग संघ के प्रति नकारात्मक धारणाएँ फैला रहे हैं। इसे राष्ट्रविरोधी संगठन तक कहा जा रहा है, जबकि वास्तविकता इससे बिलकुल उलट है। संघ की विचारधारा राष्ट्रवादी है और इसका हर प्रयास राष्ट्र की उन्नति और विकास के लिए होता है। कहीं न कहीं, समाज के एक वर्ग ने संघ को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है, और कई लोग इस भ्रामक नेरेटिव के शिकार हो गए हैं। इस गलतफहमी से उभरना आवश्यक है, ताकि राष्ट्र के हित में काम करने वाले इस संगठन की सच्ची पहचान लोगों तक पहुंच सके।
हमें संघ के विचारों और उद्देश्यों को समझने की आवश्यकता है। केवल बाहरी प्रचार और भ्रामक धारणाओं के आधार पर संघ का विरोध करना उचित नहीं है। यह संगठन सामाजिक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, और उसके पंच प्रण राष्ट्रवादी भावना को मजबूत करने के लिए समर्पित हैं। हमें अपने विवेक से विचार करना चाहिए और किसी भी संगठन के प्रति पूर्वाग्रहों से बचना चाहिए।
संघ के प्रयास न केवल समाज को एकजुट करने की दिशा में हैं, बल्कि भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने की ओर भी अग्रसर हैं। ऐसे में, हमें यह सोचना चाहिए कि कहीं हम राष्ट्रविरोधी तत्वों के प्रभाव में आकर किसी महत्वपूर्ण संगठन का विरोध करके कोई बड़ी गलती तो नहीं कर रहे? समय है कि हम संघ के वास्तविक उद्देश्य और प्रयासों को पहचानें और उनके साथ समाज के विकास में अपनी भूमिका निभाएं।

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