ग्रेटर नोएडा: श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वाधान में गोस्वामी सुशील महाराज के दिशा निर्देशन में रामलीला का मंचन राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों द्वारा किया जा रहा है । रामलीला मैदान ऐच्छर पाई सेक्टर में आज के मंचन में मुख्य अतिथि श्रीचन्द्र शर्मा सदस्य विधान परिषद उत्तर प्रदेश,श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के माननीय अध्यक्ष आनंद भाटी ने बताया की आज के मंचन का प्रारंभ गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ। माता सीता के हरण के बाद जटायु का अंतिम संस्कार करने के पश्चात प्रभु राम जब आगे बढ़े रास्ते में सबरी का आश्रम मिला शबरी ने प्रभु राम को भोग लगाने के लिए हर बेर चख के रखी थी एक अछूत का जूठा बेर प्रभु श्री राम पूरे भाव से ग्रहण कर पूरी दुनिया को यह संदेश दिए है जब ईश्वर को आप पूरे भाव से भोग लगाते हैं तो फर्क नहीं पड़ता है कि वह कैसा है भाव में अनंत प्रेम होना चाहिए। भगवान श्री राम आगे ॠष्यमूक पर्वत की तरफ प्रस्थान करते हैं वहां पर किष्किंधा के राजा बालि के छोटे भाई सुग्रीव बजरंगबली के साथ निवास करते थे भगवान श्री राम और भैया लक्ष्मण को देखकर उन्हें लगा कि उनके ऊपर आक्रमण करने के उद्देश्य से स्वयं बाली ने उन्हें भेजा है सुग्रीव के आदेश पर हनुमान जी ब्राह्मण का वेश बनाकर भगवान श्री राम के सामने उपस्थित होते हैं संतुष्ट होने पर वह अपनी असली वेश में आते हैं और रामलीला में वह घड़ी सामने उपस्थित होती है जब दुनिया का सबसे बड़ा भक्त अपने भगवान से पहली बार मिलता है यह भाव शब्दों से बताना मुश्किल है। हनुमान जी दोनों भाइयों को लेकर सुग्रीव के पास जाते हैं सुग्रीव अपने बड़े भाई बाली के अत्याचारों से भगवान श्री राम को पर्चित कराते हैं और बताते हैं कि किस तरह से बाली ने उन्हें राज्य से निष्कासित कर उनकी पत्नी को भी अपने साथ रख लिया है। प्रभु श्री राम सुग्रीव के साथ इस अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए बाली का अंत करते हैं और सुग्रीव को किष्किंधा का राज्य देते हैं। पूरी वानरी सेना माता सीता की खोज में भारतवर्ष में चारों तरफ निकल जाती है दक्षिण की टोली में जामवंत हनुमान जी और नील को जटायु के भाई संपाती मिले जिन्होंने बताया कि माता सीता लंका में अशोक वाटिका में हैं। सूचना के स्पष्टीकरण बजरंगबली को जामवंत ने उनकी शक्ति से परिचय कराया और बजरंगबली माता सीता की खोज करने के लिए प्रभु श्री राम की मुद्रिका साथ लेकर समुद्र पार करने के लिए छलांग लगा देते हैं।समुद्र में देवताओं के आदेश पर सुरसा ने परीक्षा ली लेकिन बहुत चतुरता से हनुमान जी ने वह परीक्षा पास कर लंका पहुंचे । लंकिनी नामक राक्षसी लंका की रक्षा के लिए तत्पर थी हनुमान जी ने उसका वध किया और लंका में प्रवेश कर माता को खोजना प्रारंभ किया और विभीषण से मुलाकात हुई। इन अद्भुत और पावन लीलाओं का सभी क्षेत्रवासियों ने आज आनंद लिया और अपने जीवन को धन्य बनायासनातन संस्कृति और आधुनिक तकनीक के मिश्रण के साथ अद्भुत बहु मंचीय ध्वनि एवं प्रकाश प्रस्तुति के साथ भक्तों ने आज की सभी कथाओं का भरपूर आनंद लिया।इस अवसर पर संस्था के संस्थापक गोश्वामी सुशील महाराज, राजकुमार नागर,पंडित प्रदीप शर्मा, शेर सिंह भाटी, संरक्षक हरवीर मावी,नरेश गुप्ता,सुशीलप नागर, बालकिशन सफीपुर,सतीश भाटी, यशपाल भाटी,अध्यक्ष आनन्द भाटी,महासचिव ममता तिवारी,कोषाध्यक्ष अजय नागर, मीडिया प्रभारी धीरेंद्र भाटी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश शर्मा बदौली, सुभाष भाटी, उमेश गोतम, पवन नागर, विजय अग्रवाल, रोशनी सिंह, चेनपाल प्रधान, मनोज गुप्ता प्रवीण भाटी, सत्यवीर सिंह मुखिया, सुनील बंसल जितेंद्र भाटी, फिरे प्रधान, पी पी शर्मा, रकम सिंह, योगेंद्र नगर, अतुल आनंद, जयदीप सिंह, वीरपाल मावी, दिनेश गुप्ता, विमलेश रावल, मयंक चंदेल, यशपाल नगर, गीता सागर, ज्योति सिंह आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।
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