भारत। गौतमबुद्ध नगर के प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। आये दिन प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोपों में पकड़े जाते हैं, जेल जाते हैं, लेकिन फिर भी इस पर लगाम नहीं लग पा रही है। भ्रष्टाचार के इस जाल में प्राधिकरण के कई अधिकारी शामिल हैं, जो अवैध तरीके से अर्जित धन को बचाने के लिए अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे देते हैं और बाद में इसी काली कमाई से आरामदायक जीवन बिताते हैं।
हाल ही में, एक प्राधिकरण अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा गया था, लेकिन मात्र कुछ दिनों में जांच प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया और पूरी कार्यवाही वापस ले ली गई। इस प्रकार की घटनाएं न केवल प्राधिकरण की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती हैं, बल्कि जांच एजेंसियों की निष्क्रियता भी सामने लाती हैं, जो इस भ्रष्टाचार को रोकने में असफल साबित हो रही हैं।
ग्रेटर नोएडा के साखीपुर में इसका जीता-जागता उदाहरण देखा जा सकता है, जहां एक महीने पहले बनी सड़क अब गड्ढों से भर गई है। इस घटिया निर्माण कार्य के बावजूद, अभी तक न तो प्राधिकरण द्वारा कोई सख्त कदम उठाया गया है और न ही संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।
ऐसी स्थिति में सरकार और संबंधित विभागों से उम्मीद की जा रही है कि वे भ्रष्टाचार के इस गहरे दलदल से जिले को बाहर निकालने के लिए ठोस और सख्त कदम उठाएंगे। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए न केवल प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई आवश्यक है, बल्कि जांच एजेंसियों को भी अपनी भूमिका में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा दिखानी होगी।
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