भारत टाईम्स। दिल्ली-एनसीआर, जो भारत का सबसे तेजी से विकसित हो रहा महानगर है, आज विकास और यातायात समस्याओं के बीच जूझ रहा है। जहां सरकार द्वारा सड़कें, अंडरपास और फ्लाईओवर जैसे निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, वहीं इनसे जाम की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। कुछ दिनों तक निर्माण कार्यों से राहत मिलने के बाद समस्या फिर से विकराल रूप धारण कर लेती है। गाजियाबाद, नोएडा, और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्र जाम की समस्या से बुरी तरह प्रभावित हैं।
दिल्ली-एनसीआर में किए जा रहे विकास कार्यों की सबसे बड़ी विफलता यह है कि वे दीर्घकालिक योजना के अभाव में अस्थायी समाधान प्रदान करते हैं। किसी भी समस्या को लेकर जब निर्माण कार्य शुरू किया जाता है, तो वह समस्या कुछ दिनों के लिए हल हो जाती है, लेकिन यह समाधान स्थायी नहीं होता। उदाहरण के लिए, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जाम की समस्या को हल करने के लिए फ्लाईओवर और अंडरपास बनाए गए, लेकिन कुछ ही समय बाद वही समस्या फिर से उभर आई।
दिल्ली-एनसीआर में यातायात की समस्या के पीछे सबसे बड़ा कारण वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या है। भारत में हर दिन हजारों नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। कार और मोटरसाइकिल कंपनियों द्वारा हर महीने लाखों वाहनों का निर्माण हो रहा है। भारत में वित्त वर्ष 2023-24 में 2.38 करोड़ से ज़्यादा वाहन बिके हैं. यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 12.5 प्रतिशत ज़्यादा है. वहीं, वित्त वर्ष 2023 में भारत में कुल 2.7 करोड़ वाहनों का निर्माण किया गया. इन वाहनों की कीमत करीब 108 अरब अमेरिकी डॉलर थी। भारत में वाहनों से जुड़ी कुछ और खास बातेंः 31 जनवरी, 2023 तक देश में 20,40,624 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत थे, 31 मार्च, 2023 तक दिल्ली में 79.5 लाख वाहन थे, जिनमें से 20.7 लाख निजी कारें थीं।इतनी बड़ी संख्या में वाहनों का सड़कों पर उतरना यातायात व्यवस्था पर भारी दबाव डाल रहा है। वर्तमान यातायात प्रणाली इस वृद्धि को संभालने में असमर्थ साबित हो रही है, जिसके कारण जाम की समस्या और गंभीर होती जा रही है। दिल्ली-एनसीआर की सड़कों की क्षमता भी अब सीमित हो गई है। अधिकांश सड़कों का निर्माण दशक पहले हुआ था, जब वाहन संख्या की वर्तमान स्थिति की कल्पना भी नहीं की गई थी। नई सड़कों का निर्माण और मौजूदा सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन ये विकास परियोजनाएं वाहन वृद्धि की गति के अनुरूप नहीं हैं।
इसके साथ ही, अनियोजित शहरीकरण और निर्माण कार्यों के चलते सड़कों की स्थिति और बिगड़ती जा रही है। सड़कों के किनारे अवैध पार्किंग, निर्माण सामग्री का अव्यवस्थित ढेर, और अतिक्रमण जैसी समस्याएं यातायात को बाधित करती हैं। दिल्ली-एनसीआर में यातायात की समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई ठोस और दीर्घकालिक योजना नहीं है। विकास कार्य केवल मौजूदा समस्याओं को हल करने के लिए किए जाते हैं, लेकिन भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में नहीं रखा जाता। यदि वर्तमान विकास कार्यों की यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले समय में सड़कें जाम से पूरी तरह ठप हो सकती हैं। दिल्ली-एनसीआर में यातायात समस्याओं का समाधान केवल नए पुल और अंडरपास बनाने से नहीं होगा, बल्कि हमें दीर्घकालिक योजनाओं की ओर ध्यान देना होगा। ट्रैफिक प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, और स्मार्ट सिटी योजनाओं के तहत यातायात नियंत्रण के अत्याधुनिक उपायों को लागू करना जरूरी है।
दिल्ली-एनसीआर में पंजीकरण: दिल्ली-एनसीआर में हर महीने 50,000 से अधिक नए वाहनों का पंजीकरण हो रहा है।
यदि वर्तमान दर से वाहनों की संख्या में वृद्धि होती रही और कोई ठोस योजना नहीं बनी, तो 2030 तक दिल्ली-एनसीआर की सड़कें पूरी तरह से जाम हो सकती हैं। बिना डिवाइडर, अव्यवस्थित ट्रैफिक, और अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों के चलते सड़क हादसों की संख्या में भी भारी वृद्धि हो सकती है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब सतर्क होने की जरूरत है। दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी, जिनमें स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, और शहरों की नई सड़कों का विस्तार शामिल हो। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों और कारपूलिंग जैसे उपायों को भी बढ़ावा देना होगा, ताकि वाहनों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके।
यातायात समस्या के दीर्घकालिक समाधान के बिना, दिल्ली-एनसीआर के भविष्य की सड़कें जाम और दुर्घटनाओं का केंद्र बन सकती हैं।
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