भारत। वर्तमान समय में हमारे देश में एक चिंताजनक परिपाटी का उदय हो गया है, जिसमें हम अनजाने में देशभक्तों को आलोचना का निशाना बनाते हैं, जबकि विदेशी व्यक्तित्व हमारे आदर्श बन जाते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल राष्ट्रीय चेतना को कमजोर कर रही है बल्कि हमारे समाज में एक भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी सबसे पहले है, और पार्टी, परिवार या समाज की विचारधारा उसके बाद आती है।
यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में सत्ता के साथ-साथ विपक्ष की भूमिका भी विकृत हो रही है। विपक्ष का कार्य है सरकार की नीतियों और निर्णयों की उचित आलोचना करना ताकि देशहित में सही निर्णय लिए जा सकें। लेकिन आज की स्थिति यह है कि विपक्ष सत्ता पक्ष के सही और उचित तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर झूठी अफवाहों का पुलिंदा तैयार करता है। यह देश के विकास और समृद्धि के लिए एक बड़ा खतरा है। सत्ता में रहते हुए गलतियों को सुधारने का काम करना आवश्यक है, परंतु जब विपक्ष देश के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए झूठी बातें फैलाता है, तो यह देशभक्ति का अपमान है।
आज के युग में हमें एक जागरूक नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को समझना होगा। हमें यह पहचानना होगा कि क्या वास्तव में राष्ट्रहित में है और क्या नहीं। एक सच्चे देशभक्त के रूप में हमें न केवल अपने राजनीतिक आकाओं की बातों को आंख बंद करके मानने से बचना चाहिए, बल्कि अपनी आंखों और कानों को खुला रखकर हर स्थिति का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करना चाहिए। पार्टी और परिवार की बातों से पहले राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना हमारी पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।
हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम देश के प्रति अपनी निष्ठा को सही दिशा में निर्देशित करें। किसी भी राजनीतिक दल की विचारधारा से अधिक महत्वपूर्ण हमारा देश है। धर्म, समाज, परिवार ये सभी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जब बात राष्ट्र की हो, तो वह सबसे ऊपर होता है। हमें अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करना होगा, ताकि भविष्य में कोई भी राजनीतिक प्रचार हमें अपने देश के प्रति कर्तव्यों से भटकने न दे।
निष्कर्ष
देशभक्ति केवल नारे लगाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह एक ऐसी भावना है, जिसे हमें अपने जीवन के हर पहलू में उतारना चाहिए। हमें जागरूक होकर राष्ट्रहित और राजनीति के बीच के अंतर को समझना होगा। देश से बड़ा कुछ भी नहीं, और हमें इस विचार को हमेशा अपने मन और आत्मा में बनाए रखना चाहिए।
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