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वर्तमान सामाजिक संकट: बढ़ता भ्रष्टाचार, घटता प्रेम और कमजोर होता स्वाभिमान!

ओमवीर सिंह आर्य मुख्य संपादक दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स भारत।
भारत टाईम्स। आज हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जहां एक ओर विकास की बातें हो रही हैं, तो दूसरी ओर समाज में नैतिक मूल्यों का तेजी से ह्रास हो रहा है। भ्रष्टाचार, अहंकार, और लालच ने मानवीय रिश्तों को कमजोर किया है, जबकि आत्मसम्मान और पारस्परिक प्रेम कहीं खोते जा रहे हैं। खर्चे बढ़ रहे हैं, आमदनी घट रही है, और इस आर्थिक असमानता ने आम नागरिकों की जिंदगी को और भी कठिन बना दिया है।
भ्रष्टाचार हमारे समाज के हर कोने में अपनी जड़ें जमा चुका है। सरकारी दफ्तरों से लेकर निजी संस्थानों तक, बिना रिश्वत के कोई काम होना मुश्किल हो गया है। यह न सिर्फ सरकारी कामकाज की गति को धीमा करता है, बल्कि आम आदमी के आत्मविश्वास और नैतिकता को भी तोड़ देता है। भ्रष्टाचार ने एक ऐसा तंत्र बना दिया है, जहां न्याय और पारदर्शिता का कोई मूल्य नहीं रह गया है। कानून-व्यवस्था को दरकिनार कर शक्तिशाली लोग अपने स्वार्थ के लिए पूरे समाज को अंधकार में धकेल रहे हैं।
मानव समाज का आधार प्रेम और सहयोग पर टिका होता है। परंतु आज हम देख रहे हैं कि पारस्परिक प्रेम और सहयोग का स्थान अहंकार ने ले लिया है। व्यक्तिगत स्वार्थ और दिखावे की होड़ ने रिश्तों को खोखला कर दिया है। जहां पहले समाज में भाईचारे और आत्मीयता की भावना प्रमुख थी, वहीं आज आपसी दुश्मनी और प्रतिस्पर्धा ने उसे खत्म कर दिया है।
स्वाभिमान एक व्यक्ति की असली पहचान होता है, लेकिन आज के समाज में इसे महत्वहीन बना दिया गया है। लोग अपने स्वार्थ के लिए नैतिकता और आत्मसम्मान की बलि चढ़ा रहे हैं। किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने में लोग अब हिचकिचाते नहीं हैं, और यही कारण है कि समाज में विश्वास और ईमानदारी का अभाव बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति न सिर्फ व्यक्तिगत विकास में रुकावट बनती है, बल्कि समाज को नैतिक रूप से कमजोर करती है।
आर्थिक असमानता भी समाज में एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। आज जहां जीवन स्तर में सुधार और नई तकनीकों की मांग के कारण खर्चे बढ़ रहे हैं, वहीं आम आदमी की आमदनी उतनी नहीं बढ़ रही है। महंगाई की मार और रोजगार के सीमित अवसरों ने लोगों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया है। परिवार चलाना दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है, और लोग कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
समाज में इन समस्याओं से उबरने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास करने होंगे। भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ईमानदारी और पारदर्शिता की भावना को अपनाना होगा। प्रेम और सहिष्णुता को पुनर्जीवित करने के लिए हमें अहंकार छोड़कर एक-दूसरे के साथ आत्मीयता और सहयोग का व्यवहार करना होगा। आत्मसम्मान और नैतिकता की रक्षा करना आज की सबसे बड़ी चुनौती है, जिसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर नैतिक मूल्यों को विकसित करने की आवश्यकता है।
आर्थिक सुधार के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। रोजगार के नए अवसर सृजित करना, शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना, और महंगाई को नियंत्रित करना ऐसे कुछ कदम हो सकते हैं, जिनसे आम जनता को राहत मिलेगी।
समाज में नैतिकता और आर्थिक संतुलन लाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। अगर हम यह बदलाव ला पाते हैं, तो हमारा समाज फिर से प्रेम, सम्मान और आत्मविश्वास की ओर बढ़ सकेगा।

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