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गौरवशाली इतिहास: हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर

ओमवीर सिंह आर्य मुख्य संपादक दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स भारत।
भारत। हमारे देश का इतिहास हजारों वर्षों से महान आदर्शों, विज्ञान, और नैतिकता के उच्चतम मानकों का प्रतीक रहा है। भारत ने मानवता के लिए न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया, बल्कि विज्ञान, चिकित्सा, और सामाजिक व्यवस्थाओं में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। यह इतिहास हमें गर्व से भर देता है और हमारे जीवन के लिए एक मार्गदर्शक है, जिससे हम अपने राष्ट्र को और भी उन्नत और वैभवशाली बना सकते हैं। रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में दर्शाए गए महान आदर्श आज भी हमारे समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।
रामायण से सीखने योग्य आदर्श।
रामायण काल की घटनाएँ हमें नैतिकता और नारी सम्मान की ऊंचाईयों तक ले जाती हैं। जब रावण ने माता सीता का हरण किया, तब सीता ने अपने आभूषण एक-एक करके गिरा दिए। ये आभूषण वानरराज सुग्रीव को प्राप्त हुए। राम के साथ युद्ध में उनका समर्थन इसी कारण संभव हो सका। जब लक्ष्मण जी को ये आभूषण दिखाए गए, तो उन्होंने अपने अद्वितीय आदर्श का परिचय दिया। लक्ष्मण ने कहा,नाहं जानाम‌ि केयूरे, नाहं जानाम‌ि कुण्डले। नूपुरे त्वभ‌िजानाम‌ि न‌ित्यं पादाभ‌िवन्दनात्।। अर्थात हे प्रभु मैं देवी सीता के न तो बाजूबंद को जानता हूं, न उनके कुंडल पहचानता हूं "मैंने माता सीता को कभी सिर उठाकर नहीं देखा। मैं केवल उनके चरणों को देखता था, और मैं उनके पायल को पहचानता हूँ।"
इस संवाद से हमें यह स्पष्ट होता है कि लक्ष्मण ने नारी को सदैव उच्चतम सम्मान दिया और अपने बड़े भाई की पत्नी को माँ के समान माना। यह आदर्श आज के समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है, जहाँ नारी के प्रति सम्मान और मर्यादा को सर्वोच्च स्थान देना चाहिए।
महाभारत में धर्म और सत्य की विजय।
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन और अभिमन्यु को धर्म युद्ध के लिए प्रेरित करना एक और उदाहरण है कि किस प्रकार धर्म और सत्य की विजय ही महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण ने सदैव सत्य और धर्म के मार्ग का अनुसरण किया, चाहे परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो। उन्होंने हमें सिखाया कि धर्म की स्थापना और सत्य की जीत के लिए व्यक्तिगत संबंधों का त्याग भी आवश्यक हो सकता है।
महाभारत का यह संदेश हमें बताता है कि जीवन में सही मार्ग पर चलने और न्याय के लिए संघर्ष करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या समाज की उन्नति, धर्म और सत्य का पालन सदैव सर्वोपरि होता है।
प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ।
हमारे पूर्वजों ने न केवल नैतिक और धार्मिक शिक्षा दी, बल्कि विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया। ब्रह्मास्त्र जैसे शक्तिशाली हथियारों का निर्माण हमारे प्राचीन वैज्ञानिक कौशल का प्रमाण है। यह मिसाइल तकनीक आधुनिक युग में भी विज्ञान के चमत्कारों से मेल खाती है।
इसके साथ ही, आयुर्वेद, जिसे आज के युग में भी एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है, हमारी प्राचीन चिकित्सा प्रणाली का सबसे अच्छा उदाहरण है। ऋषि-मुनियों द्वारा विकसित इस चिकित्सा प्रणाली ने प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से रोगों का उपचार करना सिखाया, जो आज भी प्रासंगिक और प्रभावी है।
हमारे पूर्वजों ने हवाई यंत्रों और अन्य यांत्रिक आविष्कारों का प्रयोग हजारों वर्षों पूर्व किया, जो प्राचीन भारत की अद्वितीय क्षमता का प्रमाण है। यह दिखाता है कि हम वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से कितने उन्नत थे और इन उपलब्धियों को आज भी हमें गौरव के साथ देखना चाहिए।
निष्कर्ष।
हमारा गौरवशाली इतिहास केवल एक कथाओं का संग्रह नहीं है, बल्कि यह उन महान आदर्शों और सिद्धांतों का समूह है जिन पर चलकर हम अपने राष्ट्र को एक बार फिर से विश्व के शीर्ष पर पहुंचा सकते हैं। हमें अपने पूर्वजों की उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए और उनके पदचिह्नों पर चलकर समाज और देश को समृद्धि की ओर अग्रसर करना चाहिए। इतिहास से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम अपने अतीत को सही तरीके से समझें और उससे प्रेरणा लें, तो हम न केवल अपने वर्तमान को सुधार सकते हैं, बल्कि अपने भविष्य को भी उज्जवल बना सकते हैं। इसलिए, आइए हम अपने इतिहास के उन महान व्यक्तित्वों और उपलब्धियों को स्मरण करें और उनके आदर्शों पर चलकर राष्ट्र को गोरवान्वित करें।

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