भारत टाईम्स। दैशभक्ति का मतलब केवल राष्ट्रध्वज को फहराने या देशभक्ति गीत गाने तक सीमित नहीं है। यह एक जीवन जीने का तरीका है, जिसमें अपने देश की संस्कृति, मूल्यों और अखंडता के प्रति संपूर्ण निष्ठा और प्रेम होता है। आज, हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां कुछ लोग अपने ही देश को अपमानित करने का साहस करते हैं। भारत में रहकर, यहां की मिट्टी से जीवन और पहचान पाकर, अपने ही देश को गाली देना एक प्रकार का कृतघ्नता है। यह न केवल हमारे देश का अपमान है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत, हमारे पूर्वजों के बलिदान और भविष्य की पीढ़ियों के प्रति अन्याय है।
अगर हम भारत माता की गोद में पलते हैं, यहां के संसाधनों से अपना जीवन व्यतीत करते हैं, तो यह हमारा परम कर्तव्य है कि हम इस देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और उसकी गरिमा का सम्मान करें। कोई भी भारत माता को गाली देकर उसकी महानता पर सवाल नहीं उठा सकता, और हमें ऐसे देशद्रोही तत्वों को उनकी औकात दिखानी होगी। एक राष्ट्र तभी महान बनता है जब उसके नागरिक उसे सर्वोपरी मानते हैं और उसकी रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करते हैं।
राष्ट्र की महत्ता: देश से बड़ा कोई नहीं।
जापान, इजराइल, और यूक्रेन जैसे देश हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। इन देशों ने बार-बार दुनिया को दिखाया है कि एक राष्ट्र के प्रति समर्पण किसे कहते हैं। जापान, जिसने दूसरी विश्वयुद्ध की त्रासदी के बाद भी अपनी संस्कृति और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी, आज दुनिया के सबसे उन्नत देशों में से एक है। इजराइल, जो हर तरफ से शत्रुओं से घिरा है, फिर भी अपने अस्तित्व की रक्षा करने के लिए हर पल तत्पर रहता है। यूक्रेन, जिसने हाल ही में अपने देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए संघर्ष किया, वह भी यह बताता है कि देश की स्वतंत्रता किसी भी व्यक्तिगत हित से ऊपर होती है।
हमें इन देशों से सीखने की जरूरत है। देशभक्ति का सही अर्थ है अपने देश को सर्वोच्च मानना और उसकी रक्षा के लिए हर प्रकार के बलिदान के लिए तैयार रहना। यह भावना हमें न केवल बाहरी शत्रुओं से, बल्कि आंतरिक विषमताओं और देशद्रोही विचारधाराओं से भी लड़ने की शक्ति देती है।
आवश्यकता है आत्मविश्लेषण की।
भारत जैसे महान राष्ट्र में जन्म लेकर, उसकी मिट्टी से जीवन प्राप्त कर, उसके संसाधनों का उपभोग कर यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ विष उगलता है, तो यह शर्मनाक है। हमें ऐसे तत्वों का सामाजिक रूप से बहिष्कार करना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने अपनी जानें देकर इस देश की स्वतंत्रता पाई है, और यह हमारा कर्तव्य है कि हम उस स्वतंत्रता की रक्षा करें।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम स्वयं को देशभक्ति के आदर्श पर खरा उतारें। राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए हर नागरिक को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। कोई भी व्यक्ति या समूह जो भारत के सम्मान को ठेस पहुंचाने का प्रयास करता है, हमें उसकी औकात बतानी चाहिए। भारत माता की महानता में कोई कमी नहीं, बस हमें उसके प्रति अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिए।
आज समय की मांग है कि हम सभी भारतीय, चाहे किसी भी जाति, धर्म या भाषा से हों, अपने देश के प्रति एकजुट हों और उसकी सुरक्षा, सम्मान और विकास के लिए तत्पर रहें। हमें याद रखना चाहिए कि अगर देश है तो हमारा वजूद है, और अगर देश नहीं रहा, तो हमारा कोई अस्तित्व नहीं।
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