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श्री धार्मिक रामलीला मंचन सेक्टर पाई , में गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्री राम ने धनुष उठाया उठाते ही धनुष टूट गया ।


मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाइम ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
ग्रेटर नोएडा: श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वाधान में गोस्वामी सुशील  महाराज के दिशा निर्देशन में रामलीला का मंचन राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों द्वारा किया जा रहा है । रामलीला मैदान ऐच्छर पाई सेक्टर में आज के मंचन में मुख्य अतिथि माननीय जसवन्त सैनी राज्य मन्त्री औद्योगिक विकास एव संसदीय कार्य उत्तर प्रदेश सरकार अशोक कटारिया विधान परिषद सदस्य एव पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार
आज के मंचन का प्रारंभ गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ। जनकपुर में एक शिव धनुष रखी हुई थी जो विशाल थी और इतना अधिक वजनी थी कि कोई भी उसे हिला नहीं सकता था एक बार माता सीता उस कक्ष की स्वयं सफाई कर रही थी उन्होंने बहुत ही सहजता से उस धनुष को हटा करके सफाई कर दिया था यह देख महाराजा जनक जी  ने माता सीता के विवाह हेतु यह फैसला लिया था की जो इस शिव धनुष को उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी से माता-सीता का विवाह होगा इतना बड़ा स्वयंवर का निर्माण किया और जिसमें पूरे पृथ्वी से बड़े-बड़े राजाओं और महाराजाओं ने हिस्सा लिया स्वयंवर में सभी राजाओं ने अपने-अपने सामर्थ्य का परिचय दिया लेकिन किसी ने भी उस धनुष को हिला तक पाने का सामर्थ्य नहीं प्रस्तुत कर पाए महाराज जनक दुखी हुए और उन्होंने कहा कि क्या यह पृथ्वी अब वीरों से विही हो चुकी है इस पर भैया लक्ष्मण ने विरोध जताया। गुरु विश्वामित्र जी के कहने पर भगवान श्री राम ने उस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए उठाया लेकिन प्रत्यंचा चढ़ाते समय ही वह धनुष टूट गई और उससे एक प्रचंड ध्वनि पूरे ब्रह्मांड में गूंज गई इस ध्वनि से परशुराम जी की लीन तपस्या टूट गई तुरंत वह जनकपुर राज्यसभा में उपस्थित हो गए और पूछने लगे की यह किसने हिम्मत की मैं अभी उसका वध कर दूंगा भैया लक्ष्मण के साथ उनका बहुत विवादित संवाद सभी दर्शकों के लिए बड़ा सम्मोहक रहा लेकिन भगवान श्री राम के बीच बचाव से भगवान परशुराम जी को यह समझ में आ गया की परमपिता परमेश्वर का धरा धाम पर अवतार हो चुका है और पहचानने पर उन्होंने अपनी धनुष जो भगवान विष्णु ने उनको प्रदान की थी भगवान श्री राम को प्रदान करके वहां से प्रस्थान किया तत्पश्चात अयोध्या से महाराज दशरथ पूरी तैयारी के साथ जनकपुरी में बारातियों के साथ उपस्थित हुए बारातियों का स्वागत जनकपुर में धूमधाम से किया गया। बारात में सभी दर्शकों ने नृत्य और गान का आनंद लिया और बड़े ही उल्लास के साथ इस उत्सव को मनाया यह दृश्य बड़ा ही मनोरम रहा। माता सीता और प्रभु श्री राम के विवाह के साथ-साथ चारों भाइयों की एक साथ चार बहनों से जनकपुर में विवाह संपन्न हुआ। बहुत ही धूमधाम से बारात विदा हुई और अयोध्या पहुंची पूरी अयोध्या सजाई गई अयोध्या का एक-एक वासी हर्ष और उल्लास में डूब गया। समय के साथ महाराज दशरथ ने प्रभु श्री राम को युवराज घोषित करने का निर्णय लिया लेकिन महाराज दशरथ की एक रानी कैकई थी जिनसे भैया भरत का जन्म हुआ था उनकी दासी मंथरा के बहकावे में आने के कारण माता कैकई ने भरत के लिए राज्य और प्रभु श्री राम के लिए वनवास मांग कर पहले से दिए गए दो वचनों में महाराज दशरथ को बांध लिया जिसके कारण प्रभु श्री राम को 14 वर्ष का वनवास प्राप्त हुआ और प्रभु श्री राम माता सीता और भैया लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए प्रस्थान किये इस लीला के दृश्य ने पूरी अयोध्या वासियों का दुख और प्रभु श्री राम के प्रति अयोध्या वासियों के प्रेम को देख सभी दर्शकों के हृदय विदिर्ण हों गये।इन अद्भुत और पावन लीलाओं का सभी क्षेत्रवासियों ने आज आनंद लिया और अपने जीवन को धन्य बनाया।सनातन संस्कृति और आधुनिक तकनीक के मिश्रण के साथ अद्भुत बहु मंचीय ध्वनि एवं प्रकाश प्रस्तुति के साथ भक्तों ने आज की सभी कथाओं का भरपूर आनंद लिया।इस अवसर पर संस्था के संस्थापक गोश्वामी सुशील  महाराज, राजकुमार नागर,पंडित प्रदीप शर्मा, शेर सिंह भाटी, संरक्षक हरवीर मावी,नरेश गुप्ता,सुशील नागर, बालकिशन सफीपुर,सतीश भाटी, यशपाल भाटी,अध्यक्ष आनन्द भाटी,महासचिव ममता तिवारी,कोषाध्यक्ष अजय नागर, मीडिया प्रभारी धीरेंद्र भाटी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश शर्मा बदौली, सुभाष भाटी, उमेश गौतम, पवन नागर, विजय अग्रवाल, रोशनी सिंह, चेनपाल प्रधान, मनोज गुप्ता प्रवीण भाटी, सत्यवीर सिंह मुखिया, सुनील बंसल जितेंद्र भाटी, फिरे प्रधान, पी पी शर्मा, रकम सिंह, योगेंद्र नगर, अतुल आनंद, जयदीप सिंह, वीरपाल मावी, दिनेश गुप्ता, विमलेश रावल, मयंक चंदेल, यशपाल नगर, गीता सागर, ज्योति सिंह आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।

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