ग्रेटर नोएडा।हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 2 अक्टूबर 2024 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। 16 दिनों से चल रहे श्राद्ध पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या को होता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। इस साल 2 अक्टूबर 2024 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। 16 दिनों से चल रहे श्राद्ध पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या को होता है। यदि किसी ने अपने पितरों की तिथि को श्राद्ध न किया हो तो इस अमावस्या को कर सकते हैं। यदि कोई संपूर्ण तिथियों पर श्राद्ध करने में सक्षम न हो, तो वह मात्र अमावस्या तिथि पर सभी का श्राद्ध कर सकता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए ये बहुत ही शुभ मुहूर्त है। जो पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है। पूर्वजों की पुण्यतिथि पता न हो तो उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि पर किया जाता है इस दिन गाय,कुत्ता, चीटीं, और कौए के लिए खाना निकालने की परंपरा है। इसे बाद दक्षिणा और कपड़े पितरों के नाम के ब्राह्मणों को दिए जाते हैं। आचार्य कुलदीप जी ने बताया कि गरुड़ पुराण और श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार पीपल में श्रीहरि और पितरों का वास होता है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के पास शाम के समय एक घी का दिया दक्षिण की तरफ जलाकर जल, काले तिल चढ़ाने से पितृ दोष समाप्त होता है.।
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