प्रधान शुशील नागर का अध्यापक से आंदोलनकारी और अध्यक्ष तक का सफर एक आदर्श मिशाल है

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
दादरी: 90 के दशक में जब देहात मोर्चा नामक अराजनीतिक संगठन के नाम से ही भ्रष्टाचारियों की नींद हराम हो जाती थी। उस समय गांव गांव आंदोलनकारियों की एक फसल बोई जा रही थी। जिसमें राजकुमार भाटी , बाबू सिंह आर्य, अजीत दौला, वीरेंद्र डाढा, और मा मौजीराम नागर गांव गांव में ऐसे जमीनी कार्यकर्ता तैयार कर रहे थे जो भविष्य में जनहित के मुद्दों पर ग़रीबों वंचितों और असहाय लोगों की आवाज को गूंगी-बहरी सरकार के समक्ष न केवल उठा सकें बल्कि उनके अधिकारों की लड़ाई लड सकें। आज तीस साल बाद देहात मोर्चा की वह उपज गांव - गांव में मानवाधिकारों का अलख जगाकर उन्हें जागरूक कर रही है।
देहात मोर्चा के नेतृत्व में तराशी गई ऐसी ही टीम के सक्रिय सदस्य रहे भाई सुशील नागर को आजाद समाज पार्टी का जिला गौतम बुद्ध नगर का डिस्टिक प्रेजीडेंट नियुक्त किया गया है। 
कभी अंधेरा महादीप कहा जाने वाले गांव कचैड़ा वारसाबाद निवासी सुशील नागर वर्ष 1999 से 2002 तक वेदपुरा इंटर कॉलेज में आईटीआई के अध्यापक रह चुके हैं। इस दौरान वह गांव में ही एक एसटीडी बूथ भी चलाया करते थे। तब एसटीडी बूथ पर फोन करने आने वाले लोग उनके सामने अपनी दुख भरी दास्तां भी बयां करते थे। ऐसे में उनका मन पिघला और वे अध्यापक की नौकरी छोड़ समाजसेवा के मैदान में कूद पड़े।
उस समयकाल में देहांत मोर्चा ही एक ऐसा सामाजिक संगठन हुआ करता था जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों और मजदूरों के साथ ही मजलूमों की आवाज उठाया करता था। देहात मोर्चा की टैगलाइन भी इसकी तस्दीक करती थी। जिसमें लिखा गया था कि " उनकी आवाज, जो बोलते नहीं "।
नागर ने तब देहात मोर्चा की सदस्यता ग्रहण कर अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू किया। इस दौरान वह निखर कर सामने आए। सबसे पहले वह प्रखर वक्ता बने । इसके बाद आंदोलनकारी नेता के रूप में जाने गए। किसी भी कंपनी में स्थानीय युवकों को रोजगार की लड़ाई में अक्सर सुशील नागर सबसे आगे रहा करते थे। तब मोजर बेयर के साथ ही समतल और अन्य कंपनियों पर धरना प्रदर्शन कर आसपास के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने में सुशील नागर का अहम योगदान रहा। 
चाहे सपा सरकार में बझेड़ा का रिलायंस प्रोजेक्ट हो या मायावती सरकार में बादलपुर की जमीनों का जबरन अधिग्रहण हो या फिर भाजपा के कार्यकाल में कचैडा और आसपास के 18 गांवों की वेव सिटी बिल्डर से लड़ाई सुशील नागर की सक्रियता बढ़ती गई। वह आज भी किसानों के मुद्दों पर मोर्चा संभाले हुए हैं।
इसका नतीजा यह निकला कि वर्ष 2010 में गांव कचैड़ा के बाशिंदों ने सुशील नागर को सर्वाधिक वोट देकर प्रधान पद पर जिताया। गांव का प्रधान रहते ही वेव सिटी बिल्डर से गांव के विकास के लिए समझौता कराया। जिसमें सड़क, बिजली, पेयजल आपूर्ति के साथ ही सामुदायिक भवनों का उच्चीकरण के साथ ही सौंदर्यीकरण कराया।
कचैड़ा गांव की गली-गली में लगें आरसीसी से गांव की पहचान ही बदल गई। वेव सिटी बिल्डर कचैडा गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत डेवलपमेंट कर रहा है। जिसके गांव के समुचित विकास के लिए किए गए कुछ वादे अभी भी अधूरे हैं। जिन्हें पूरा कराने को वे अपना लक्ष्य निर्धारित कर चुके हैं। 
हालांकि सुशील नागर के प्रधान कार्यकाल में गांव के डिग्री कॉलेज का शिलान्यास हो चुका था। जिसके लिए वेव सिटी बिल्डर जगह निधारण के अलावा और कुछ नहीं कर पाया है। जबकि भूमिहीन ग्रामीणों को प्लाट दिलाने की कार्यवाही सुचारू है। कचैडा गांव के साथ ही वेव सिटी बिल्डर से प्रभावित कई गांव के लोग अभी भी लड़ाई लड़ रहे हैं। सुशील नागर आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष बन पार्टी के बैनर तले लड़कर अब न्याय का नया अध्याय लिखने को आतुर हैं।
आजाद समाज पार्टी का जिला अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार गांव पहुंचे सुशील नागर का वेव सिटी के सेक्टर दो स्थित नागर प्रॉपर्टीज में स्वागत समारोह किया गया । जिसमें महेश बोस की अध्यक्षता और डॉक्टर सुनील नागर दुजाना के संचालन में कार्यक्रम संपन्न हुआ। स्वागत समारोह में आकाश नागर पत्रकार, नरेन्द्र नागर इनायतपुर, डॉ अमित नागर दुजाना, रॉबिन नागर दुजाना, संजय चाचा, मुकुल नागर दुजाना, मनोज नागर, नीरज नागर दुजाना, राकेश नंबरदार, संजय नागर कचैडा, अनिल शाह जी कचैडा, संतराम कचैडा, श्याम ठेकेदार कचैडा, सुमित प्रधान , बबल नागर, नीरज नागर दुजाना आदि शामिल रहे।

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