गाजियाबाद/दिल्ली। आज संसार टेक्नोलॉजी के ट्रांजिशन पीरियड में चल रहा है आज की युवा पीढ़ी को अगर सही रास्ता नहीं दिखाया गया तो आज की युवा पीढ़ी अपने उद्देश्य से भटक जाएगी आज की ज्यादातर युवा पीढ़ी का अधिसंख्या उद्देश्यहीन है आज की युवा पीढ़ी इस स्थिति के लिए स्वयं ही जिम्मेदार नहीं है साथ में माता-पिता की भूमिका, शिक्षण संस्थान की भूमिका, शिक्षक की भूमिका, बच्चों के आसपास का वातावरण और सोशल मीडिया भी इसके लिए जिम्मेदार है
1-सोशल मीडिया का नकारात्मक तथा अत्यधिक प्रयोग-वर्तमान के इस भौतिकवादी युग में जिस तरह से सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि का गलत और अत्यधिक प्रयोग से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है यह हमारे समाज और देश के लिए घातक सिद्ध होता दिखाई दे रहा है यदि सोशल मीडिया से संबंधित सभी प्लेटफॉर्म का सकारात्मक प्रयोग किया जाए निसंदेह देश की युवा पीढ़ी सकारात्मक दिशा की तरफअग्रसर होगी तथा यह युवा पीढ़ी भविष्य में देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी जिससे देश समर्थ और वैभवशाली बनेगा लेकिन आज हमारे देश की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया ना तो सकारात्मक दिशा में, ना ही उचित तरीके से प्रयोग कर पा रही है और इसके गलत प्रयोग से छात्र वर्ग पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है अगर सोशल मीडिया को सही दशा तथा सही मार्ग दर्शन से सीखा जाए या इस्तेमाल किया जाए तभी यह बच्चों के ज्ञान की वृद्धि और मानसिक विकास दोनों को बढाते है लेकिन अगर इसका सही दिशा सकारात्मक नहीं है इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
2- माता-पिता की भूमिका- सर्वप्रथम पहले तो युवा पीढ़ी के माता-पिता अपने बच्चों से नियमित और परस्पर संवाद का अभाव होना तथा साथ-साथ माता-पिता अपने बच्चों के प्राकृतिक प्रतिभा को नजर अंदाज करके अपने स्वार्थऔर सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए बच्चो को प्रतियोगिता परीक्षा में बाध्य कर देना तथा जानकारी का अभावऔर तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण माता-पिताअपने बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं कर पाते वह जिससे ज्यादातर बच्चे अपने उद्देश्य पर सफल नहीं हो पाते और बच्चे गलत रास्ता अपना लेते हैं जिससे वह अपने समय और ऊर्जा दोनों का व्यर्थ करते हैं
3- शिक्षण संस्थान- आज के ज्यादातर शिक्षण संस्थान के शिक्षक युवा बच्चों से परस्पर संवाद नहीं कर पाते उनके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे अपने विषय पर महारथ ना होना, कॉन्फिडेंट ना होना, अपने ट्यूशन का बढ़ावा देना, तकनीकी ज्ञान की कमी होनाआदि साथ-साथ बहुत सारे शिक्षण संस्थान अपने संस्थान पर इंफ्रास्ट्रक्चर का ना होना, स्टाफ की कमी होना, खेल क्रीड़ाओ का ना होना, सांस्कृतिक गतिविधियां का ना होना, अनुशासन समिति का ना होना, नियमित पुस्तकालय का ना होना,प्लेसमेंट सेल ना होना,महिला समिति का ना होना तथा साथ-साथ में नियमित कक्षा की संख्या कम होना, ऑनलाइन कक्षा का बढ़ावा देना जिससे देश के युवा पीढ़ी जो ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं वह उसे कक्षा को साधनों की कमी एवं तकनीकी ज्ञान की कमी की वजह से फायदा नहीं उठा पाए साथ साथऑनलाइन कक्षा से बच्चेअपने शिक्षक से ज्यादा संपर्क नहीं हो पताऔर बहुत सारे कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं होते तथा बच्चे मेटा एआई पर आश्रित हो जाते हैं जहां पर जितने भी साइंस कोर्स जैसे डायग्राम संबंधित पाठ्यक्रम भूगोल, पर्यावरण,जीव विज्ञान, कृषि विज्ञान आदि उतने बेसिक कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं होते।
3- वातावरण- आज की युवा बच्चों पर जिस आसपास में वह रह रहे हैं उसका बड़ा प्रभाव पड़ता हैअगर उसका कोई मित्र कम मेहनत पर या कम संघर्ष पर कुछ अलग प्रकार के कारणों से वह अच्छे साधन संपन्न हो जाता है तो आज के युवा बच्चे उसको आदर्श मानने लगते हैं और वह अपनी पढ़ाई या मेहनत पर कम ध्यान देकर शॉर्टकटअपना रास्ता अपना लेते हैं और जल्दी ही साधन संपन्न बनने की कोशिश करते हैं जिससे वह गलत मार्गदर्शन पर चले जाते हैं इसमें एक अलग कारण यह भी है जितने भी सफल आदमी है सफल बच्चे हैं वह सफलता के बाद समाज से पृथक हो जाते हैं और अपनी युवा पीढ़ी को अपने साथ जोड़ नहीं पाते
4- युवा पीढ़ी का तकनीकी ज्ञान पर सकारात्मक प्रयोग ना करना-आज की युवा पीढ़ीअपने स्कूल या शिक्षण संस्थान में किसी भी अध्यापक या शिक्षक द्वारा किसी टॉपिक का कॉन्सेप्ट क्लियर ना होना या किसी कारण से स्कूल न जाने की वजह से विषय पर ज्ञान ना होना आज की युवा पीढ़ी उसे विषय को गूगल पर विकिपीडिया देखने की अपेक्षाएं या यूट्यूब पर विषय के एक्सपर्ट की वीडियो देखने की अपेक्षाएं युवा पीढ़ी यूट्यूब पर गाने बनाना, गाने सुनना, फिल्म देखने पर समय और ऊर्जा खराब करते हैं
5- मानसिक दुर्बलता- आज की युवा पीढ़ी दिन प्रतिदिन टेक्नोलॉजी पर आश्रित होती जा रही है जैसे लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, कैलकुलेटर, इंटरनेट इत्यादि बच्चे अपने माता-पिता के साथ समय ना देना, दोस्तों को समय ना देना, अपने रुचि के अनुसार खेल में समय ना देना, अपने दोस्तों के साथ विषय पर चर्चा ना करना, संस्कृत गतिविधियां में भाग ना लेना, एनएस एस तथा एन सी सी जैसी समितियां पर भाग ना लेना इससे बच्चे सांस्कृतिक मूल्य, सामाजिक वैल्यू और नैतिकता को भूलता जा रहा है साथ-साथ बच्चे दिन धीरे-धीरे मानसिक दुर्बलता की ओर चला जाता है वह भविष्य में किसी भी तरह का दबाब को नहीं झेल पता इसी कारण वर्तमान पीढ़ी में आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही है
आज जिस तरह से ज्यादातर युवा बिना उद्देश्य के, बिना लक्ष्य के दिखाई दे रहा है या फिर लक्ष्य को जल्दी प्राप्त करने की भागदौड़ मची रहती है अगर आज हम सभीअपनी जिम्मेदारी पूर्णता के साथ निभाएंगे चाहे जो माता-पिता की जिम्मेदारी, शिक्षक की जिम्मेदारी, शिक्षण संस्थान के जिम्मेदारी तभी हमारा युवा पीढ़ी सही दिशा मेंआगे बढ़ेगा और अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा हम सब कुछ संकल्प लेना है कि युवा पीढ़ी के मार्गदर्शन के साथ-साथ टेक्नोलॉजी का सदुपयोग, सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रयोग तथा साथ-साथ में शिक्षण संस्थानों को बच्चों को अच्छा माहौल अच्छा शिक्षक और अच्छी शैक्षिक सुविधा देने के साथ-साथ देंगे तथा साथ-साथ में माता-पिताओं को भी आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी पूरी दृढ़ता के साथ निभानी है तभी भारत देश भविष्य में परम वैभवशाली और सामर्थ्य बनेगा।
डॉ देवेंद्र कुमार नागर
सह आचार्य - पर्यावरण विभाग, रामानुजन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
निवास- ग्राम और पोस्ट - अच्छेजा
जिला - गौतम बुध नगर
मोबाइल 70650 66400
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