"अगर मेरे गुरु प्रो॰डॉ कलम सिंह ना होते, तो शायद आज मैं कैप्टन नहीं होता। "



 
डी पी बैंसला दैनिक फ्यूचर लाइन टाइम संवाददाता मुजफ्फरनगर 
मुजफ्फरनगर ।शिक्षक दिवस की इस पावन बेला पर मेरे सामाजिक, पारिवारिक गुरु, मेरे मार्गदर्शक, मेरे पथप्रदर्शक, मेरे गाइड, मेरे मोटीवेटर, मेरे मसीहा, मेरे पितातुल्य आदरणीय प्रोफेसर डॉ॰ कलम सिंह जी पूर्व विभागध्यक्ष-समाजशास्त्र विभाग, डीएवी कॉलेज, मुजफ्फरनगर को नमन करते हुए मुझे अपने छात्र जीवन के कुछ पल याद आ रहे हैं, जिन्होंने मेरे जीवन मूल्यों को हमेशा के लिए बदल दिया।दरअसल बात उन दिनों की है, जब 2002 में S D इंटर कॉलेज से 12वीं करने के पश्चात्त मैं एमबीबीएस MBBS के लिए सीपीएमटी की परीक्षा में बैठा, परंतु असफल रहा ।तभी गुरु जी ने मुझे एक दिन अपने पास बुलाया और हौसला अफजाई की, क्योंकि मैं उस वक्त तनाव Stress और डिप्रेशन के दौर से गुजर रहा था। मेरे परिवार का वरिष्ठ सदस्य होने के नाते गुरुजी की कृपा और नजर हम तीनों भाइयों की शैक्षिक गतिविधियों पर रहती थी। गुरु जी ने मुझे DAV कॉलेज में बीएससी में प्रवेश लेने के लिए मार्गदर्शन दिया और मेरी मेडिकल परीक्षा PMT की तैयारी जारी रखने के लिए हौसला बढ़ाया।मैं पूरे तन-मन-धन से दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट गया, परंतु फिर भी असफल रहा। इसी दौरान मैंने एक दिन बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के दौरान मर्चेंट नेवी के एक कॉलेज का चेन्नई में आवेदन कर दिया,उस परीक्षा में मैं पास हुआ और मुझे 1 साल की ट्रेनिंग के लिए निर्देश दिए गए। मैं उसी दिन शाम को फिर गुरु जी से मिला, गुरुजी उस वक्त अपने मुजफ्फरनगर के महावीर चौक स्थित वर्तमान में सेवा नर्सिंग होम की बिल्डिंग के निर्माण कार्य में व्यस्त थे।गुरु  ने मुझे समझाया कि बेटा दुनिया में डॉक्टर और इंजीनियर के अलावा और भी बहुत से क्षेत्र हैं जहां आप अपने कौशल और रुचि के अनुसार अपना प्रतिभा प्रदर्शन कर सकते हो। मैंने गुरु जी के उस मार्गदर्शन पर अमल करते हुए नेवी ज्वाइन कर ली और वहां फिर प्रमोशन के लिए आगे ऑफिसर्स के एग्जाम देने मुझे इंग्लैंड जाना था, क्योंकि हमारे यहां ब्रिटिश लाइसेंस की महत्ता उन दिनों ज्यादा होती थी। मैनें इंग्लैंड के लिवरपूल शहर में लिवरपूल यूनिवर्सिटी University of Liverpool में 1 साल के स्टूडेंट वीजा पर अपने ट्रेनिंग-कोर्स में एडमिशन ले लिया वहां स्टडी के दौरान कुछ कठिन उतार-चढ़ाव आए और एक दिन मैं इतना तनाव ग्रस्त हो गया कि मैने सब कुछ अधूरा छोड़कर हिंदुस्तान वापस आने का मन बना लिया, शाम होते-होते आत्महत्या तक के विचार मेरे मन में आने लगे। मैं अपना फ्लाइट टिकट बुक करने ही जा रहा था कि मुझे फिर गुरु जी की याद आई और टिकट बुक करने से पहले मैंने गुरु जी को फोन पर वार्तालाप करके थोड़ा विचार विमर्श किया। गुरु जी ने मेरे साथ अपने खुद के छात्र जीवन के दौरान के सामाजिक, पारिवारिक, शैक्षिक अनुभव साझा किये और मेरा हौसला बढ़ाते हुए मुझे अपना कोर्स जारी रखने के सुझाव दिए। मैं वास्तव में गुरूजी की प्रेरणादायक, संघर्षो की दास्तान सुनकर,ऊर्जा से इतना अभीभूत हो गया कि मैंने उसे दिन प्रण लिया कि अपना "नेवीगेशन लाइसेंस" लिए बिना इंग्लैंड से वापस नहीं लौटूंगा।गुरुजी ने समझाया कि 'लक्ष्य रोजाना नहीं बदले जाते आपने जिंदगी के कीमती 7 साल नेवी के लिए निवेश किए हैं, अतः अब तो तुम्हें मैं कैप्टन कुलदीप सिंह के नाम से देखना और सुनना चाहता हूं ।ऐसे है मेरे गुरु महान समाजशास्त्री, धैर्यशील, जीवन मूल्यों के धनी, निडर, कठोर, डॉ कलम सिंह । आपकी तीनों बेटियां और दामाद आज सभी डॉक्टर हैं तथा आप समाज की विभिन्न संस्थाओं से आज 80 वर्ष की उम्र के पड़ाव में भी जुड़े हुए हैं। तथा समय-समय पर छात्रों के लिए करियर काउंसलिंग, युवा-संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं ।

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