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हिंदू सनातन मंदिरों का व्यवसायीकरण: स्वामी चक्रपाणि महाराज ने जताई नाराजगी, आंदोलन की चेतावनी

कमल प्रजापति संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स दिल्ली।
नई दिल्ली: उज्जैन, महाकाल मंदिर की व्यवस्थाएं पैसे की मोहताज कर दी गई हैं। यहां व्यवस्थाएं 5 या 7 स्टार होटल जैसी है। जहां मीनू कार्ड पर हर चीज के रेट लिखे होते हैं, वैसे ही बाबा के दर्शन के अलग-अलग रेट तय किए गए। बाबा को दूर से निहारने के 250, छूने, जल-दूध अर्पण के 1500, भस्म आरती देखने के 200 रुपए तय हैं। मंदिर प्रबंध समिति ने दर्शन के लिए अलग- अलग शुल्क लगाए हैं। व्यवस्था नई नहीं है, लेकिन रोज देशी-विदेशी श्रद्धालु व्यवस्था से भ्रम में थे। इसलिए परिसर में कई बोर्ड लगा दिए। इसमें दर्शन, पूजन, अभिषेक व शीघ्र दर्शन पर खर्च होने वाले रुपए की सूची लगा दी है।

अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने उज्जैन, महाकाल मंदिर की व्यवस्थाएं और हिंदू सनातन मंदिरों के व्यवसायीकरण पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पैसा लेकर भगवान के दर्शन कराना महापाप है और सरकार को तत्काल इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करती है, तो हिंदू महासभा और संत महासभा जल्द ही इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन करने पर बाध्य होगी।

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि मंदिरों का व्यवसायीकरण सनातन धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन का अधिकार हर व्यक्ति का है, चाहे वह किसी भी आर्थिक स्थिति का हो। भगवान के दर्शन के लिए पैसे लेना धार्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से गलत है।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और जल्द से जल्द मंदिरों में दर्शन के लिए पैसे लेने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाए, तो हिंदू महासभा और संत महासभा पूरे देश में आंदोलन करने के लिए तैयार है।

स्वामी चक्रपाणि महाराज के इस बयान के बाद धार्मिक और सामाजिक संगठनों में हलचल मच गई है। लोग इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं और सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि वह जल्द ही इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी।

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