गौतमबुद्ध नगर में पंचायत राज व्यवस्था की बहाली की मांग: वरिष्ठ समाजसेवी कर्मवीर नागर का गुर्जर शोध संस्थान से अनुरोध

कर्मवीर आर्य संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
गौतमबुद्ध नगर, ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ समाजसेवी और पूर्व प्रमुख, कर्मवीर नागर ने गुर्जर शोध संस्थान की कार्यकारिणी से पंचायत राज व्यवस्था बहाल करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है। नागर का कहना है कि गौतम बुद्ध नगर की लगभग 288 ग्राम पंचायतों के औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित होने के बाद से ही पंचायत राज व्यवस्था समाप्त कर दी गई है, जिसके दुष्परिणाम अब स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। 

नागर ने बताया कि 24 दिसंबर 2001 को जारी एक अधिसूचना के तहत, गौतम बुद्ध नगर की पंचायतों का पुनर्गठन बंद कर दिया गया। इस अधिसूचना के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रभारी मंत्री स्वर्गीय हुकम सिंह के समय में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने पंचायत पदाधिकारियों के प्राधिकरण में आकर गांव के विकास के लिए दबाव बनाने की शिकायत की थी। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश विधानसभा में इंडस्ट्रियल एक्ट पारित किया गया, जिसने औद्योगिक क्षेत्र घोषित ग्राम पंचायतों में पंचायत चुनाव और गठन पर रोक लगा दी।

उन्होंने कहा कि सन 2015 में ग्राम पंचायतों के होने वाले चुनाव से पहले प्राधिकरण के अधिकारियों ने कुछ लोगों को विश्वास में लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करवाई, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव नहीं कराए गए। हालाँकि, उस समय के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा चुनाव कराने का आदेश जारी किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने 24 दिसंबर 2001 के अध्यादेश को लागू करने का फैसला सुनाया, जिसके कारण चुनाव नहीं हो सके।

नागर ने इस बात पर भी जोर दिया कि पंचायत राज व्यवस्था के अभाव में ग्रामीण विकास में रुकावटें आ रही हैं। गांवों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए नोडल अधिकारी तक नियुक्त नहीं किए गए हैं, जिससे गांवों के लोग सरकारी योजनाओं से वंचित रह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज गौतम बुद्ध नगर का जिला पंचायत अध्यक्ष का पद भी उनके पास नहीं है, जो गुर्जर बाहुल्य जिले के लिए चिंता का विषय है।

कर्मवीर नागर ने गुर्जर शोध संस्थान की कार्यकारिणी से पंचायत चुनाव बहाल करने का प्रस्ताव पारित करने और इसे लागू कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का अनुरोध किया है, ताकि गांवों का सुनियोजित विकास हो सके और ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो।

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