ग्रेटर नोएडा। शारदा विश्वविद्यालय में मोन अमी फाउंडेशन के सहयोग से एक विशेष शिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार के शिल्पकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी में कारीगरों ने अपने हाथों से बनाई वस्तुओं का प्रदर्शन किया, जिसमें हाथी, गुड्डे, बैग, फलों की टोकरी, हैंडल टोकरी, और पिकनिक टोकरी जैसी अनूठी वस्तुएं शामिल थीं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन शारदा विश्वविद्यालय के सोशल बिजनेस सेंटर की डायरेक्टर डॉ. पारुल सक्सैना ने किया। उन्होंने बताया कि यह प्रदर्शनी विशेष रूप से महिला कारीगरों के काम को प्रदर्शित करने के लिए समर्पित है। "यह प्रदर्शनी रचनात्मकता, शिल्प कौशल और सांस्कृतिक विरासत के एक जीवंत उत्सव के रूप में काम करेगी। प्रदर्शनी में पारंपरिक शिल्प, समकालीन डिजाइन और नवीन तकनीकों से युक्त कलाकृतियों की एक विविध श्रृंखला प्रस्तुत की गई है, जो कारीगरों के कौशल, समर्पण और सांस्कृतिक महत्व की कहानी को जीवंत करती है," प्रदर्शनी का आयोजन शारदा विश्वविद्यालय और मोन अमी फाउंडेशन के बीच चल रहे समझौते के तहत किया गया, जिसके माध्यम से नोएडा और उत्तर भारत की महिलाओं को निशुल्क कौशल विकास का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
शारदा स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडी के डीन, डॉ. कपिल पांडला ने कहा, "शारदा विश्वविद्यालय सदैव महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करता रहा है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि इस परियोजना के माध्यम से हमने अनेक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य कारीगरों के कौशल को बढ़ाना और उन्हें अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करना है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़े और उनके संचार कौशल में भी सुधार हो।"
प्रदर्शनी में भाग लेने वाले शिल्पकारों ने इस अवसर को अपनी कला को व्यापक दर्शकों तक पहुँचाने का एक अनूठा अवसर बताया। प्रदर्शनी में आए दर्शकों ने भी कारीगरों के काम की सराहना की और इसे सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
इस आयोजन ने न केवल शिल्पकारों को एक मंच दिया, बल्कि स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर हस्तशिल्प की महत्ता को भी रेखांकित किया।
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