लेखक: जे पी सिंह गुर्जर
भारत की राजधानी दिल्ली ने एक ऐसा दौर देखा है जब वह एक सजी-संवरी दुल्हन की तरह चमक रही थी। यह काल 1998 से 2013 तक का था, जब माननीय शीला दीक्षित जी ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए दिल्ली को एक स्वच्छ, सुन्दर और सुव्यवस्थित शहर में बदल दिया था। उनके कार्यकाल में दिल्ली के नदी-नालों की सफाई, अधिकतम फ्लाईओवरों का निर्माण, और चौराहों पर सुंदर फव्वारों की स्थापना शामिल थी। इन फव्वारों ने न केवल दिल्ली की सुंदरता में चार चांद लगाए बल्कि वायु प्रदूषण को भी कम किया।
शिक्षा के क्षेत्र में, शीला दीक्षित जी ने अनेक स्कूल और कॉलेज स्थापित कर दिल्ली को एक उच्च शिक्षा का केंद्र बनाया। उनके समय में दिल्ली एक दुल्हन के समान सजी-संवरी और स्वच्छ बन गई थी।
इसके बाद, एक अन्य व्यक्ति ने आम आदमी के छद्म भेष में आकर दिल्ली को पेरिस बनाने का सपना दिखाया। यह व्यक्ति अरविंद केजरीवाल थे, जिन्होंने दिल्ली को और स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के वादे किए। उन्होंने मुख्यमंत्री आवास को छोटा करने और सरकारी खर्चों को कम करने का वादा किया, लेकिन उनके शासनकाल में शीला दीक्षित जी द्वारा बनाई गई दिल्ली को दरिद्र बना दिया गया।
केजरीवाल के कार्यकाल में नदियों, नालों और नालियों की सफाई नहीं की गई, यमुना नदी को और भी अधिक प्रदूषित कर दिया गया, और पराली प्रदूषण को घटाने के लिए डी-कंपोजर का प्रयोग केवल एक नाटक साबित हुआ। कूड़े के पहाड़ों को समाप्त करने का वादा भी झूठा निकला और ये पहाड़ पहले से भी बड़े हो गए।
शीला दीक्षित जी द्वारा बनाए गए सड़कों और फ्लाईओवरों की मरम्मत भी नहीं हो सकी, और चौराहों पर लगे फव्वारों को भी बंद कर दिया गया। दिल्ली के लोगों को मुफ्त पानी देने का वादा किया गया था, लेकिन आज भी स्वच्छ पानी की कमी है।
कुछ नई योजनाएं जैसे मोहल्ला क्लीनिक और मुफ्त बिजली और बस सेवा भी प्रभावी साबित नहीं हो सकीं। बिजली के बिलों में बढ़ोतरी और खराब बस सेवाओं ने आम आदमी को निराश किया।
मैं, जे पी सिंह गुर्जर, ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि भविष्य में दिल्ली को कभी ऐसा मुख्यमंत्री न मिले जो दिल्ली को दुल्हन से दरिद्रता में परिवर्तित कर दे। दिल्ली का दुर्भाग्य कभी किसी के हाथ में न सौंपा जाए।
### जय श्री राम, राम ही सत्य है यही सत्य है।
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