ग्रेटर नोएडा, 16 अगस्त: 84 वर्षीया रामकली देवी पिछले छह वर्षों से घुटने के गंभीर दर्द की समस्या से जूझ रहीं थीं। साथ ही, उन्हें पहले से दिल की बीमारियाँ भी थीं। हाल ही में, ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में उनका घुटने की सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट सर्जरी की गति। उनकी उम्र अधिक होने और पहले से हुए हृदय रोग के कारण चिकित्सा के क्षेत्र में यह सर्जरी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।दृढ़ इच्छाशक्ति और चिकित्सा उत्कृष्टता का एक उदाहरण,छह वर्षों से अधिक समय से, रामकली देवी को घुटने के गंभीर दर्द का सामना करना पड़ रहा था, जिससे उनका चलना फिरना चिंताजनक रूप से सीमित हो गया था और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हुई थी। अधिक उम्र और दिल की बीमारियों के चलते होने वाले जोखिमों के बावजूद, एक बार फिर आसानी से चलने फिरने की आजादी पाने की आशा ने उन्हें घुटने के ट्रांसप्लांट सर्जरी करवाने के लिए प्रेरित किया। यह फैसला लेते ही वो फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा पहुंचीं, जहां विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया।फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के आर्थोपेडिक्स और स्पाइन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. हिमांशु त्यागी ने इस सर्जरी का नेतृत्व किया। उन्होंने मरीज की दिल की बीमारी से जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखते हुए सर्जरी की पूरी योजना बनाई। इस टीम में डॉ. मोहित शर्मा, कंसल्टेंट आर्थोपेडिक्स, और डॉ. राजेश मिश्रा, एसोसिएट कंसल्टेंट आर्थोपेडिक्स ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीम के सामूहिक अनुभव और अस्पताल की उन्नत सुविधाओं ने इस चिकित्सा जटिलताओं को सफलतापूर्वक पार करने में अहम योगदान दिया।घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी में हुई प्रगति
डॉ. हिमांशु त्यागी के अनुसार, घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी बुजुर्ग मरीजों, विशेषकर 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में, संभावित जटिलताओं के कारण बेहद सावधानी से की जाती है। हालांकि, चिकित्सा तकनीक और सर्जरी के तरीकों में आई प्रगति ने ऐसे मरीजों के लिए परिणामों में उल्लेखनीय सुधार किया है। मिनिमम इनवेसिव प्रक्रियाएं, बेहतर इम्प्लांट सामग्री और सटीक सर्जिकल विधियों ने, यहां तक कि रामकली देवी जैसे उम्रदराज मरीजों के जटिल मामलों में भी सुरक्षित रूप से यह सर्जरी करना संभव बना दिया है।घुटने के प्रत्यारोपण सर्जरी में हुई तकनीकी प्रगति ने बुजुर्ग मरीजों के लिए सक्रिय और दर्द-मुक्त जीवन जीने के नए रास्ते खोले हैं। इसने इस धारणा को बदल दिया है कि उम्र और स्वास्थ्य स्थितियां इस तरह की सर्जरी के लिए रुकावट बन सकती हैं।नई ज़िंदगी की शुरुआत,सर्जरी के बाद, रामकली देवी के चलने-फिरने में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है और अब वह बिना दर्द के आराम से चल सकती हैं। उनके पोते, प्रशांत गर्ग, ने डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त किया और इस सर्जरी से परिवार पर पड़े सकारात्मक प्रभाव को साझा किया।डॉ. हिमांशु त्यागी ने कहा, “84 वर्ष की उम्र में, इस मरीज ने हृदय संबंधी समस्याओं के बावजूद घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी कराने का निर्णय लिया, जो वास्तव में प्रेरणादायक है। उनकी रिकवरी हमारे वरिष्ठ नागरिकों के आर्थोपेडिक देखभाल में किए गए प्रगति को दर्शाती है, जो बुजुर्ग मरीजों को सक्रिय और संतोषजनक जीवन जीने की सुविधा प्रदान करती है।”सभी के लिए प्रेरणा,फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के सीईओ, डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा, “यह मामला आधुनिक चिकित्सा की संभावनाओं को दर्शाता है, यहां तक कि हमारे सबसे उम्रदराज मरीजों के लिए भी। उम्र और मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियां बेहतर इलाज में बाधा नहीं होनी चाहिए। रामकली देवी की हिम्मत और हमारे डॉक्टरों की विशेषज्ञता और मेहनत ने उन्हें चलने फिरने में सक्षम बनाया और दर्द से आजादी दी है।”यह सर्जरी अन्य बुजुर्ग मरीजों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है और इस बात की पुष्टि करती है कि सही इलाज व देखभाल के साथ उम्र और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से पार किया जा सकता है, जिससे जीवन जीने की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।
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