विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर प्रेमांश फाउंडेशन Premansh Foundation ने मांओ को किया जागरूक

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।डॉ शिखा शुक्ला,प्रेमांश फाउंडेशन
Premansh Foundation
विश्व स्तनपान सप्ताह।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ शिखा शुक्ला, अध्यक्ष प्रेमांश फाउंडेशन (Premansh Foundation) विश्व स्तनपान सप्ताह पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर बच्चे के स्वास्थ्य, पोषण और विकास में माँ के दूध का महत्व अनमोल होता है। इसी महत्वपूर्ण संदेश को देने के लिए प्रतिवर्ष  '  विश्व स्तनपान  सप्ताह' (World Breastfeeding Week) 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। इस सप्ताह का उद्देश्य है माँ के दूध के स्वास्थ्य लाभों को सार्वजनिकता प्रदान करना, एवं नवीन माताओं  को इसके महत्व को समझाना, तो आइये जाने कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां- 
1. गर्भवस्था से ही करें तैयारी-
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को स्तनपान के लिए शिक्षा और तैयारी देना एक महत्वपूर्ण पहल है जो ना केवल माँ के स्वास्थ्य और बच्चे के पोषण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि परिवार के लिए भी एक महत्वपूर्ण योगदान है। गर्भावस्था के दौरान आंतरिक देखभाल (Ante-natal care) स्तनपान संबंधी जानकारी और कौशल प्राप्त करने का एक मुख्य स्रोत हो सकता है। इस दौरान महिलाएं स्तनपान के फायदे, तकनीकी ज्ञान (जैसे कि सही पोजीशन में स्तनपान कराना), कोलेस्ट्रम यानी पहले पीले गाड़े दूध को पिलाने की महत्ता, स्तनपान की समयगतता, और इससे जुड़े मिथकों और गलत विश्वासों को डॉक्टर/आशा बहनजी से साझा कर सकती हैं। 
गर्भावस्था के दौरान स्तनपान के लिए शिक्षा और तैयारी बेहद जरुरी है जिससे माताएं पहले से ही स्तनपान के फायदे और इसके महत्व के बारें में अच्छे से जानकारी ग्रहण कर लें , इस प्रक्रिया को सही तरीके से समझ सकें और अपने बच्चे के लिए सर्वोत्तम पोषण और स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकें। 
2. प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान प्रारंभ 
प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान प्रारंभ करना माँ और शिशु दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइये जानें लाभ-
शिशु के लिए:
प्रसव के तुरंत बाद निकलने वाला पहला दूध, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, शिशु के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन, एंटीबॉडी और अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। कोलोस्ट्रम शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसे विभिन्न संक्रमणों से बचाता है। शिशु के पाचन तंत्र को कोलोस्ट्रम से एक अच्छी शुरुआत मिलती है।
माँ के लिए:
प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान से दूध उत्पादन की प्रक्रिया शुरू होती है। स्तनपान माँ और शिशु के बीच भावनात्मक बंधन को मजबूत करता है। स्तनपान से गर्भाशय संकुचन होता है, जिससे रक्तस्राव कम होता है और प्रसव के बाद के जोखिम कम होते हैं। साथ ही स्तनपान से कैलोरी जलती हैं, जिससे प्रसव के बाद वजन घटाने में मदद मिलती है। स्तनपान करने वाली माँओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसूति के बाद अवसाद) का खतरा कम होता है। इसके अलावा स्तनपान से मधुमेह, स्तन कैंसर एवं कई अन्य बीमारियों का खतरा कम होता है।
प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान प्रारंभ करने की प्रक्रिया
त्वचा से त्वचा संपर्क: प्रसव के तुरंत बाद शिशु को माँ की छाती पर रखा जाना चाहिए, ताकि त्वचा से त्वचा का संपर्क हो सके। यह शिशु को गर्म रखता है और स्तनपान के लिए सहज बनाता है।
शिशु को सही स्थिति में रखना: शिशु के सिर और शरीर को माँ के स्तन के पास सही तरीके से रखना चाहिए, ताकि वह आसानी से निप्पल को पकड़ सके।
माँ को आराम देना: माँ को एक आरामदायक स्थिति में रखें ताकि वह बिना किसी असुविधा के शिशु को स्तनपान करा सके। प्रसव के बाद माँ को पर्याप्त समर्थन और आराम देना सुनिश्चित करें।
प्रशिक्षित कर्मी की सहायता: प्रसव के तुरंत बाद एक प्रशिक्षित नर्स या दाई की उपस्थिति में स्तनपान प्रारंभ कराना। प्रशिक्षित कर्मी माँ को सही तकनीक और मुद्रा सिखाने में मदद कर सकते हैं।
माँ का पोषण: स्तनपान के दौरान माँ का पोषण बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव शिशु के स्वास्थ्य और विकास पर पड़ता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए आयरन रिच खुराक लेना जरूरी होता है। हमारी खुराक में आयरन के कुछ सामान्य स्रोतों में दालें और फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, तरबूज, अंडा और रेड मीट इत्यादि शामिल हैं। 
मां में दूध के उत्पादन और उसे बेहतर बनाने के लिए - मेथी, जीरा, सौंफ, सफ़ेद तिल, गुड़, गोंद के लड्डू, मेथी के लड्डू, बादाम का हलवा, सूखी हुई अदरक (सौंठ) की बर्फी जैसे खास तैयारी वाली चीजें और कुछ ऐसी अन्य चीजों का सेवन कर सकते हैं, जिनमें बाजरा और हरे पत्तेदार सब्जियों का उपयोग होता है। फ्लैक्ससीड्स (अलसी के बीज) और अन्य नट्स का सेवन माँ और शिशु दोनों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। इनमें आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो स्तनपान कराने वाली माँ को ऊर्जा और शिशु को स्वस्थ विकास प्रदान करते हैं। 
अजवाइन, सौंफ और अदरक जैसी वनस्पतियां और मसालें पाचन के लिए अच्छी मानी जाती हैं और बच्चों के पेट दर्द में आराम दिलाने में सहायक होती हैं। साथ ही इन सबके सेवन से दूध के उत्पादन को बढ़ाने में सहायता मिलती है हालांकि इन चीजों का उपभोग संतुलित ढंग से ही करना चाहिए क्योंकि इनमें फैट और कैलरी ज्यादा होती हैं। धूम्रपान एवं शराब सेवन से पूरी तरह से बचें, क्योंकि यह शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
स्तनपान के दौरान माँ का आहार शिशु के स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। संतुलित, पौष्टिक और विविध आहार का सेवन करने से माँ और शिशु दोनों स्वस्थ रहते हैं। अस्वस्थ और हानिकारक खाद्य पदार्थों से बचकर स्वस्थ आहार पर ध्यान  देना चाहिए।  














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