-->

स्वामी चक्रपाणि महाराज का कड़ा बयान: 'अंबानी के विवाह में जाने वाले आचार्य और संतों को पालघर के संतों की हत्या पर भी ध्यान देना चाहिए'

दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स विशेष संवाददाता नई दिल्ली।
15 जुलाई 2024: स्वामी चक्रपाणि महाराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारत हिंदू महासभा और संत महासभा, ने एक बयान में उन आचार्यों, सन्यासियों और संतों पर कड़ी आलोचना की है जो अंबानी के विवाह में शामिल हुए, लेकिन पालघर में हुए संतों की निर्मम हत्या पर चुप्पी साधे रहे। 
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा, "उद्धव ठाकरे के सरकार में दो संतों की पालघर में निर्ममता से हत्या कर दी गई। यह घटना हिंदू समाज के लिए एक गहरा आघात था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि वहां किसी ने जाकर श्रद्धांजलि नहीं दी और न ही उनके न्याय के लिए आवाज उठाई।"
उन्होंने आगे कहा, "अखाड़ों के कायर और लोभी आचार्य अंबानी के विवाह में तो जा सकते हैं, लेकिन अपने अखाड़े के संतों के निर्ममता से हत्या वाले स्थान पर श्रद्धांजलि देने और उन संतों को न्याय दिलाने की मांग नहीं कर सकते। यह उनके चरित्र की दुर्बलता और लोभ का परिचायक है।"
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने इस बात पर जोर दिया कि समाज के सामने इन आचार्यों और संतों का असली चेहरा आना चाहिए। "दुनिया इनके चरित्र को देख रही है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे उन संतों के न्याय के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे, जो उनके ही समुदाय के थे। अंबानी के विवाह में जाना उनकी प्राथमिकता हो सकती है, लेकिन उन संतों के लिए न्याय की मांग करना भी उनकी जिम्मेदारी है," उन्होंने कहा।
उन्होंने संतों और आचार्यों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने का आग्रह किया। "आपको समझना चाहिए कि समाज आपसे क्या अपेक्षा करता है। आपके कार्यकलाप समाज के समक्ष एक उदाहरण स्थापित करते हैं। जब आप अपने ही संतों की हत्या पर चुप्पी साधते हैं और दूसरी ओर किसी बड़े उद्योगपति के विवाह में शामिल होते हैं, तो यह समाज के प्रति आपके दायित्वों की उपेक्षा है।
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने यह भी कहा कि यह समय है जब आचार्य और संतों को अपनी प्राथमिकताओं को पुनः परिभाषित करना चाहिए और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। "हमें उन संतों के लिए न्याय की मांग करनी चाहिए जिनकी निर्ममता से हत्या कर दी गई। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी आवाज बनें और उनके लिए न्याय की मांग करें। यह केवल हमारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारा धर्म भी है," उन्होंने जोड़ा।
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने अंत में आचार्यों, सन्यासियों और संतों से अपील की कि वे पालघर के संतों के लिए न्याय की मांग करें और वहां जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करें। "यह हमारे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा और इससे हमारे धर्म और समाज के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करेगा," उन्होंने कहा।
यह बयान समाज के विभिन्न वर्गों में चर्चा का विषय बन सकता है और धार्मिक नेताओं को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत कर सकता है।स्वामी चक्रपाणि महाराज का यह बयान समाज के धार्मिक और नैतिक मूल्यों को पुनः स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ