डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम: एक महान राष्ट्र पुरुष के साथ छह महीनों का अद्भुत अनुभव। जे. पी. सिंह गूर्जर

कमल प्रजापति संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स दिल्ली।
दिल्ली:- 27 जुलाई 2024 को राष्ट्र ने अपने एक महान सपूत, डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर, मैं, जे. पी. सिंह गूर्जर, दिल्ली पुलिस के एक पूर्व सिपाही के रूप में, अपने उन छह महीनों के अनुभव को साझा करना चाहता हूँ जो मैंने 1992 में इस महान आत्मा की सुरक्षा करते हुए बिताए थे।

1992 में, मुझे डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली। उनके साथ बिताए छह महीने मेरे पुलिस करियर के सबसे स्वर्णिम दिन थे। उनकी दिनचर्या का पालन करते हुए, मैंने एक सच्चे राष्ट्रभक्त को देखा, जिन्होंने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण देश की सेवा में समर्पित किया।

कलाम साहब की दिनचर्या सुबह 3 बजे से शुरू होती थी। सुबह 4 बजे तक उनका ऑफिस की लाइट जल जाती थी और 5 से 6 बजे के बीच वे पार्क में घूमने निकलते थे। उनकी सादगी का यह आलम था कि कभी-कभी वे अलग-अलग रंग की चप्पल पहन लेते थे और सर्ट-पायजामा का कोई मेल नहीं रहता था। वे बच्चों से बेहद प्यार करते थे और पार्क में मिलने वाले बच्चों से बात करने में उन्हें खुशी मिलती थी।

कलाम साहब का ऑफिस समय निश्चित नहीं था। कभी-कभी वे रात के एक बजे तक भी काम करते रहते थे। उन्होंने हमें कभी नहीं देखा कि वे एक बजे से पहले सोए हों और तीन बजे के बाद उठे हों। उनका आहार भी अत्यंत साधारण था - दाल, रोटी और सब्जी। उन्होंने कभी भी बीड़ी-सिगरेट का समर्थन नहीं किया और यदि कोई सुरक्षाकर्मी छुपकर बीड़ी पीता तो उन्हें तुरंत पता चल जाता था।

राष्ट्रपति बनने के बाद भी, कलाम साहब ने अपनी सादगी और सेवा भाव को नहीं छोड़ा। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में ओषधिय पौधे लगवाए और शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। उनके समय में हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति, और रक्षा क्रांति के साथ-साथ पर्यावरण पर भी महत्वपूर्ण काम हुआ। उन्होंने कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया और राष्ट्रपति भवन से जाते समय भी सिर्फ एक सूटकेस लेकर गए।

कलाम साहब का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी, समर्पण, और सेवा से ही सच्ची सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने अपने अंतिम समय तक राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किया और हमें एक आदर्श जीवन का उदाहरण दिया।

आज, उनकी पुण्यतिथि पर, मैं उस महान आत्मा को कोटि-कोटि नमन करता हूँ। उनके साथ बिताए छह महीनों के अनुभव ने मुझे न केवल एक बेहतर पुलिसकर्मी बल्कि एक बेहतर इंसान भी बनाया।

लेखक.जे. पी. सिंह गूर्जर
27-07-2023

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