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संविधान हत्या दिवस" की घोषणा: आपातकाल की भयावहता को कभी नहीं भूलेंगे। कमलेश पासवान

रामानन्द तिवारी संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स नई दिल्ली।
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान की घोषणा।
12 जुलाई 2024, नई दिल्ली - केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने 25 जून 1975 के आपातकाल को 'भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटने वाला दिन' बताते हुए हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह घोषणा उन भयावह घटनाओं की याद दिलाती है जब आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को एक काले गहरे धब्बे की तरह धूमिल कर दिया था।
आपातकाल की यादें: एक काला अध्याय।
25 जून 1975 का दिन भारतीय इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था, जो 21 महीने तक चला। इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया, और विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यह समय भारतीय लोकतंत्र के लिए एक कठिन परीक्षा का दौर था, जहां संविधान की मूल भावना का उल्लंघन किया गया।
"ना भूले हैं, ना कभी भूलेंगे"
कमलेश पासवान ने कहा, "ना भूले हैं, ना कभी भूलेंगे! 25 जून 1975 भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटकर आपातकाल लागू किया गया था।" उन्होंने इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का आह्वान करते हुए कहा कि यह निर्णय प्रत्येक भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा के लिए संकल्प को मजबूत करेगा।
संविधान हत्या दिवस: लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक।
हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय भारतीय नागरिकों को उस कठिन दौर की याद दिलाएगा और उन्हें लोकतंत्र की रक्षा के प्रति सजग बनाएगा। पासवान ने कहा, "आज़ाद भारत के इतिहास में आपातकाल एक काले गहरे धब्बे की तरह है।" इस दिन को मनाने का उद्देश्य है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं और भारतीय लोकतंत्र सदैव मजबूत बना रहे।
आपातकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुईं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को हिला कर रख दिया। हजारों लोगों को बिना किसी कारण के गिरफ्तार किया गया, और प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया। यह वह समय था जब आम जनता के अधिकार छीन लिए गए थे और न्यायपालिका भी निष्क्रिय हो गई थी। आपातकाल के दौरान की ये घटनाएं आज भी भारतीय नागरिकों के मन में ताजगी के साथ बनी हुई हैं।
कमलेश पासवान ने कहा कि 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि हम सभी मिलकर लोकतंत्र की रक्षा करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर भारतीय को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और संविधान की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
'संविधान हत्या दिवस' की घोषणा ने एक बार फिर भारतीय नागरिकों को उस भयावह दौर की याद दिलाई है जब आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को हिला कर रख दिया था। कमलेश पासवान की इस पहल का उद्देश्य है कि हम सभी मिलकर संविधान की रक्षा करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। यह दिन हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा के प्रति संकल्प को मजबूत करेगा और हमें याद दिलाएगा कि संविधान की मूल भावना की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। 
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान की इस पहल के लिए उन्हें धन्यवाद और हर भारतीय को लोकतंत्र की रक्षा के प्रति सजग रहने की शुभकामनाएं।

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