बजट में सीएनजी उद्योग के विकासार्थ रियायतें व सब्सिडी मिले: डाॅ पीयूष द्विवेदी

                       
मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
नोएडा:- आगामी बजट को देखते हुए,बायो सीएनजी उ०-प्र०  और उत्तराखंड प्रदेश के अध्यक्ष तथा नेक्सजेन एनर्जिया के चैयरमेन डॉ पीयूष द्विवेदी ने केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारमण को भारत में बायो सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) के उत्पादन व रिटेल उद्योग की ओर से तेरह सूत्रीय मांग पत्र संप्रेषित किया है।जिसमें आगामी बजट में विचार करने का आग्रह किया गया है। डा. द्विवेदी ने बताया कि हमने भारत सरकार को उक्त महत्वपूर्ण मांगें और सुझाव बिंदुवार पेश किए हैं।जिनके मुख्य अंश वर्णित हैं:-वित्तीय प्रोत्साहन और सब्सिडी के अंतर्गत बायो- सीएनजी रिटेल आउटलेट्स में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर रियायतें,सब्सिडी और प्रोत्साहन की मांग व
सब्सिडी वाले ऋण: बायो सीएनजी उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने के लिए कम ब्याज दर या सब्सिडी वाले ऋण उपलब्ध कराना।अब तक कृषि इंफ्रा फंड द्वारा 2 करोड़ तक के ऋण पर 3% ब्याज सब्सिडी दी जाती है, जो 25 करोड़ से अधिक की परियोजना लागत के लिए अपर्याप्त है। अनुदान और फंडिंग: बायो सीएनजी तकनीक व दक्षता में सुधार के लिए अनुसंधान और विकास के लिए अनुदान देना। नियामक और नीति समर्थन के अंतर्गत बायो सीएनजी संयंत्रों और रिटेल आउटलेट्स को स्थापित करने के लिए आवश्यक लाइसेंस और स्वीकृतियां प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाना। कई मर्तबा स्वीकृतियों में एक वर्ष से अधिक समय लगता है, क्योंकि विभिन्न राज्य और केंद्रीय विभागों के बीच समन्वय की कमी है। सभी लाइसेंस स्वीकृतियों के लिए एकल विंडो की व्यवस्था हो,क्योंकि मौजूदा गोवर्धन विंडो पर्याप्त नहीं है।मूल्य निर्धारण तंत्र: बायो सीएन जी उत्पादकों को बेहतर मार्जिन प्रदान करना। यह वर्तमान न्यूनतम बायबैक कीमत 46 से 52 रुपये प्रति किलोग्राम है,जोकि उत्पादन लागत से कम है,एमआरपी से ग्रॉस मार्जिन 15 से 20 रुपये के बीच है,परिवहन लागत को कवर करने के लिए,यह भी अपर्याप्त है ।बुनियादी ढाँचे का विकास : कृषि अवशेषों व फीडस्टॉक के कुशल संग्रह व भंडारण  परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे का विकास के अलावा लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्रामीण क्षेत्रों से बायो सीएन जी संयंत्रों तक फीडस्टॉक के परिवहन को सुविधापूर्ण बनाने के लिए लॉजिस्टिक्स में निवेश।भंडारण सुविधाएं: कृषि फीडस्टॉक के लिए केंद्रीय भंडारण सुविधाओं की स्थापना करना ताकि लगातार आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।प्रशिक्षण व कौशल विकास: बायो सीएनजी उद्योग के लिए आवश्यक कार्यबल को प्रशिक्षित करने और कौशल को निखारने के कार्यक्रम हो और तकनीकी उन्नयन: बायो सीएनजी के उत्पादन की दक्षता और आउटपुट को सुधारने के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाने का समर्थन। कुछ आईआईटीएस विशेष कोर्स शुरू कर सकते हैं,जिससे कुशल,जानकार इंजीनियर तैयार हो सकें, जिससे इस उद्योग की वृद्धि दर तेज हो सके। अनुसंधान व विकास: रूपांतरण प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने व बेहतर फीड स्टॉक प्रबंधन तकनीकों को विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास के लिए फंडिंग और  कार्बन क्रेडिट्स: बायो सीएनजी उत्पादन के माध्यम से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में एक कार्बन क्रेडिट प्रणाली का परिचय और जागरूकता अभियान: उपभोक्ताओं और उद्योगों के बीच बायो सीएनजी के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकारी नेतृत्व वाले अभियान और सामुदायिक भागीदारी: कृषि फीडस्टॉक के संग्रह में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना और बायो सीएनजी को एक सतत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में बढ़ावा देना।डा पीयूष द्विवेदी ने हमें बताया कि उक्त सुझावों को मान कर के,भारत सरकार बायो- सीएनजी उद्योग के विकास का समर्थन कर सकती है व कृषि अवशेषों का बेहतर उपयोग करके ग्रामीण विकास को बढ़ावा दे सकती है और देश के पर्यावरणीय संतुलन के लक्ष्यों में भी योगदान कर सकती है।

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