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बलराम भाटी: काव्य विधा के उदीयमान सितारे

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
'महाभारत के पल' पुस्तक के माध्यम से किया हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान।
ग्रेटर नोएडा तिलपता करनवास, जुलाई 2024 - लेखन की विधा में बहुत कम लोग होते हैं जो अपने लिखित साहित्य को पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर पाते हैं। ऐसे ही सौभाग्यशाली हैं तिलपता करनवास निवासी, आदरणीय ज्येष्ठ भ्राता बलराम भाटी जी। बलराम सिंह भाटी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। वे सेवानिवृत्त वायु सेना कर्मी होने के साथ-साथ एक सफल रियल एस्टेट डेवलपर भी हैं। विज्ञान के विद्यार्थी होने के बावजूद उनका हिंदी साहित्य की काव्य विधा से अनुराग किसी से छुपा नहीं है।
विद्यार्थी काल से ही बलराम भाटी को काव्य रचना का शौक रहा है। महान साहित्यकार जयशंकर प्रसाद से प्रभावित होकर उन्होंने काव्य की दुनिया में कदम रखा। उनकी कविताओं में न केवल साहित्यिक सौंदर्य है, बल्कि उनमें जीवन के गहरे अनुभव और दृष्टिकोण भी झलकते हैं।
जुलाई 2024 में बलराम भाटी का ऐतिहासिक महाकाव्य 'महाभारत के पल' शीर्षक से प्रकाशित हुआ। यह महाकाव्य शिक्षा, नीति, धर्माचार और आचार के कोश महाभारत ग्रंथ को लेकर रचा गया है। इस ग्रंथ में कुरुवंश के इतिहास से लेकर पांडवों के राज्याभिषेक तक की घटनाओं को कविताओं के माध्यम से जीवंत किया गया है। 
बलराम भाटी ने अपने प्रातिभ काव्य कौशल के आधार पर संपूर्ण महाभारत को सूत्रबद्ध कर उसे एक उत्कृष्ट काव्य संकलन का रूप दिया है। उनकी कविताओं में महाभारत की घटनाओं का विस्तृत विवरण और उन घटनाओं का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। उनकी लेखनी ने महाभारत की घटनाओं को न केवल जीवंत किया है, बल्कि पाठकों को उन घटनाओं के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का अवसर भी प्रदान किया है।
बलराम भाटी का यह नवरचित काव्य संग्रह न केवल पठनीय है, बल्कि प्रचारणीय भी है। उन्होंने अपने साहित्यिक योगदान से समाज को एक नई दिशा और दृष्टिकोण दिया है। उनके इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्हें बारंबार शुभकामनाएं।
आर्य सागर खारी ने बलराम भाटी को उनके नवरचित काव्य संग्रह के प्रकाशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा, "बलराम भाटी ने अपने प्रातिभ काव्य कौशल के माध्यम से महाभारत को जीवंत कर दिया है। उनका यह संग्रह हिंदी साहित्य में एक अद्वितीय स्थान रखेगा।"
बलराम भाटी की 'महाभारत के पल' पुस्तक न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उनके काव्य कौशल और साहित्यिक योगदान को हमेशा सराहा जाएगा। हम सभी को गर्व है कि तिलपता करनवास जैसे छोटे से गाँव से एक ऐसा महान साहित्यकार उत्पन्न हुआ है जिसने हिंदी साहित्य को एक नई ऊंचाई प्रदान की है।
बलराम भाटी जी को इस उत्कृष्ट काव्य संग्रह के लिए पुनः बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

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