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स्वामी चक्रपाणि महाराज की चेतावनी: "यदि 21 जुलाई को धर्म परिवर्तन हुआ तो जामा मस्जिद बनेगा मंदिर !

दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स विशेष संवाददाता नई दिल्ली।
नई दिल्ली: अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने मौलाना तौकीर रजा को एक कड़ी चेतावनी दी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर 21 जुलाई 2024 को एक भी हिंदू का धर्म परिवर्तन कराया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। 
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने स्पष्ट किया कि यदि मौलाना तौकीर रजा 21 जुलाई को किसी भी हिंदू को इस्लाम में धर्मांतरित करते हैं, तो वे और उनके अनुयायी दिल्ली के ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर में परिवर्तित कर देंगे। उन्होंने कहा, "हम वहां पूजन और हवन करेंगे और दिल्ली का सबसे बड़ा भगवा ध्वज जामा मस्जिद पर फहराएंगे।" 
स्वामी चक्रपाणि महाराज ने यह भी दावा किया कि जामा मस्जिद के नीचे औरंगजेब के काल के दबे हुए देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। उन्होंने कहा, "हम वहां उन प्रतिमाओं की पूजा करेंगे और जिहादियों की सद्बुद्धि और विश्व शांति की कामना करेंगे।" 
इस चेतावनी ने देश भर में खलबली मचा दी है। धर्म और राजनीति के इस आपस में उलझे मुद्दे ने जनता और विशेष रूप से धार्मिक समुदायों के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है। 
मौलाना तौकीर रजा की ओर से इस चेतावनी पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने इस मुद्दे पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं। कुछ लोग इसे एक अनावश्यक उकसावा मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम के रूप में देख रहे हैं।
दिल्ली पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तैयारी बड़ा दी है ताकि  किसी भी संभावित हिंसा या अशांति से निपटा जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान और धमकियाँ धार्मिक सौहार्द्र और सामाजिक शांति को बाधित कर सकते हैं। वे सभी पक्षों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
स्वामी चक्रपाणि महाराज के इस बयान ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है कि धार्मिक असहिष्णुता और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली समस्याओं को कैसे सुलझाया जाए। यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मामला और गरमाएगा और विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक समूहों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न करेगा।
ध्यान रहे, यह सिर्फ एक चेतावनी है और सभी पक्षों को संयम और शांति बनाए रखने की आवश्यकता है ताकि समाज में सौहार्द्र और शांति बनी रहे। 
स्वामी चक्रपाणि महाराज की यह चेतावनी न केवल एक धार्मिक विवाद को जन्म देती है, बल्कि यह देश में धार्मिक सौहार्द्र और सामाजिक शांति के लिए एक गंभीर चुनौती भी पेश करती है। सभी संबंधित पक्षों से उम्मीद की जाती है कि वे इस मुद्दे को समझदारी और शांति के साथ हल करेंगे।

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