छात्र के भविष्य से खिलवाड़: IIMT कॉलेज द्वारा परीक्षा में बैठने से रोके जाने पर छात्र की गुहार

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतमबुद्ध नगर।
गौतम बुद्ध नगर, 14 जून 2024– आकलपुर गाँव, रबूपुरा तहसील के निवासी और गरीब परिवार के छात्र ने जिला अधिकारी से अपनी व्यथा साझा की है। प्रार्थी का आरोप है कि IIMT ग्रेटर नोएडा ने उसके प्रवेश पत्र को रोक कर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। छात्र ने न्याय की मांग करते हुए अधिकारियों से परीक्षा में बैठने की अनुमति दिलाने की अपील की है।
प्रार्थी, जो एक कानून का सम्मान करने वाला व्यक्ति है, ने वर्ष 2023 में 12वीं कक्षा की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की। इसके बाद, उसने IIMT ग्रेटर नोएडा में डिप्लोमा इन फार्मेसी के लिए दाखिला लिया और समय पर अपनी फीस भी जमा कर दी। सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन जब परीक्षा का समय आया, तो उसका प्रवेश पत्र रोक लिया गया।
छात्र ने जब इस बारे में कॉलेज के एचओडी से बात की, तो उन्हें बताया गया कि कुछ छात्रों की परीक्षा बाद में होगी और उसे कॉलेज से भेज दिया गया। प्रार्थी ने जब कुछ समय बाद फिर से कॉलेज जाकर अपने साथियों से पूछा, तो पता चला कि सभी की परीक्षाएं हो चुकी हैं। 
दूसरी बार जब परीक्षाओं का समय आया और प्रार्थी ने फिर से कॉलेज के एचओडी से बात की, तो उन्हें यह बताया गया कि उनका प्रवेश निरस्त कर दिया गया है और उन्हें तुरंत कॉलेज से बाहर निकाल दिया गया।
प्रार्थी ने यह भी आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ने उसे धमकी दी कि अगर वह फिर से कॉलेज परिसर में दिखा, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और झूठे मामलों में फंसा दिया जाएगा। इस व्यवहार ने छात्र को मानसिक और भावनात्मक रूप से आहत किया है। प्रार्थी एक गरीब परिवार से आता है और उसके पिता का पहले ही निधन हो चुका है। परिवार में कमाने वाला केवल वही है। इस स्थिति में, प्रार्थी के पास शिक्षा ही उसका एकमात्र सहारा है, और उसे इस तरह से शिक्षा से वंचित किए जाने का गहरा प्रभाव पड़ सकता है। 
प्रार्थी ने जिला अधिकारी महोदय से निवेदन किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और कॉलेज प्रशासन को आदेशित करें कि उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। "अगर मुझे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया, तो मुझे मानसिक क्षति हो सकती है," प्रार्थी ने अपने आवेदन में कहा। 
प्रार्थी ने यह भी बताया कि उसने समय पर अपनी फीस जमा कर दी थी और उसके प्रवेश को अचानक रद्द किया जाना अनुचित है।
प्रार्थी का मामला एक गरीब परिवार के छात्र के संघर्ष और उसके शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई का उदाहरण है। यह मामला न केवल शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय की मांग करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक छात्र को सिस्टम द्वारा दमन का सामना करना पड़ता है। जिला अधिकारी से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, छात्र को न्याय दिलाने के लिए उचित कदम उठाएंगे। यह कदम न केवल प्रार्थी को परीक्षा में बैठने की अनुमति देगा, बल्कि उसके भविष्य को भी सुरक्षित करेगा। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा का अधिकार सभी के लिए समान और निष्पक्ष होना चाहिए। किसी भी छात्र के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, विशेष रूप से उन छात्रों के साथ जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उम्मीद है कि जिला अधिकारी महोदय इस मामले में उचित कार्रवाई करेंगे और छात्र को उसका न्याय दिलाएंगे।

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