नोएडा।आज मज़दूर वर्ग के बच्चो की निःशुल्क ज्ञानशाला में प्री-मेनस्ट्रुएशन पर एक ख़ास कार्यशाला आयोजित की गई, खासकर 7-9 साल की छोटी बच्चियों के लिए। हालांकि सामान्यतः चक्र 9-12 साल की उम्र में शुरू होता है हालाकि बहुत कम उम्र में माहवारी से कई बच्चे भी काफ़ी डर जाते है लेकिन इस कार्यशाला का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में, यदि किसी बच्ची को अचानक से ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े, तो उन्हें पता हो कि क्या करना है, क्योंकि स्कूलों में यह शिक्षा बहुत जरूरी है।संस्था की संस्थापक रश्मि पांडेय ने बताया कि आजकल छोटे छोटे बच्चो में प्री-मेनस्ट्रुएशन के लक्षण दिखाई दे रहे है जिसका मुख्य कारण ख़ान पान है। जंक फूड में उच्च मात्रा में शक्कर और अस्वस्थ वसा होते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बनते हैं और छोटे बच्चो के मासिक धर्म को प्रभावित करते हैं।हम मिलकर बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से निपटने में मदद करेंगे और उन्हें सिखाएंगे कि यह एक सामान्य बात है जो हर लड़की के साथ होती है, पैरेंट्स को भी अपने बच्चो को इस बारे में बताना ज़रूर चाहिए। ईएमसीटी की सदस्य एवं आहार विशेषज्ञ गरिमा श्रीवास्तव ने बताया कि प्री-मेनस्ट्रुएशन बच्चो में सात साल की उम्र में हो रहा है जिससे बच्चे का शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है बच्चो की अच्छी डाइट और एक्सरसाइज और हाइजीन से काफ़ी हद तक परिस्थिति को सम्भाला जा सकता है, भोजन में प्रोटीन की मात्रा, मौसमी फल इस कमी को पूरा कर सकते है। आज मजदूर वर्ग की महिलाओं से भी माहवारी और स्वच्छता पर ध्यान देने के लिए समझाया, महिलाओं एवं किशोरियों को मासिक धर्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। मासिक धर्म में स्वयं को स्वच्छ रखकर गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। गंदा कपड़े आदि के प्रयोग से संक्रमण होने का डर बना रहता है।इसलिए सैनिटरी पेड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, साथ ही स्वच्छता और जागरूकता को बढ़ाने का सैनिटरी पैड का भी वितरण किया गया।
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