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तीस हजारी कोर्ट में महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विजय सिंह पथिक की पुण्य तिथि पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन

रामानन्द तिवारी संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स दिल्ली ।
दिल्ली। दिनांक 1 जून, 2024 को दिल्ली बार एसोशिएशन, तीस हजारी कोर्ट और पथिक लाएर्स फोरम, दिल्ली द्वारा हर वर्ष की भाँति महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विजय सिंह पथिक की पुण्य तिथि 29 मई के स्मरण में स्मृति व्याख्यान का आयोजन दिल्ली के तीस हजारी परिसर मे किया गया! कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ वकील खटाना साहब ने की, मुख्य वक्ता डॉ राकेश राणा रहे और विशिष्ट अथिति के रूप मे अडवोकेट ज्ञानेंद्र अवाना मंच पर मौजूद रहे! कार्यक्रम का संचालन युवा एडवोकेट और तीस हजारी कोर्ट बार एसोशिएशन के निर्वाचित सदस्य प्रदीप नागर ने किया! कार्यक्रम के मंचासीन अथितियों का विस्तार से परिचय एडवोकेट प्रिया नागर ने कराया! जहाँ विशिष्ट अथिति ज्ञानेंद्र अवाना ने भारतीय न्याय संहिता पर विस्तार से विचार विमर्श किया वही मुख्य वक्ता डॉ राकेश राणा ने महान किसान नेता स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक पर अपना व्याख्यान केंद्रित रखा। विजयसिंह पथिक भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर वह एकमात्र नेतृत्व है जिसने समाज के साथ मिलकर सफल सत्यागह की शैली ईजाद की। पथिक जी का जन्म होली के दूसरे दिन दुल्हेंडी 27 फरवरी, 1884 को हुआ था। उनका मूल नाम भूपसिंह राठी था। उनके पिता और माता के परिवारों की 1857 की क्रांति में सकिय भागीदारी थी। पथिक इन्दौर में 1905 में प्रसिद्ध क्रांतिकारी देशभक्त शचीन्द्र सान्याल के सम्पर्क में आये। उन्होंने पथिक जी को रासबिहारी बोस से मिलवाया। क्रांतिकारियों के इस समूह में पथिक जी कई महत्वपूर्ण कार्यवाहियों का हिस्सा रहे। 1912 में जब अंग्रेजों ने दिल्ली को राजधानी बनाया तो क्रांतिकारियों ने उद्घाटन समारोह में वायसराय के जुलूस पर चांदनी चौक में बम फेंका। इस कार्यवाही में पथिक जी शामिल थे। 1914 में रासबिहारी बोस और शचीन्द्र सान्याल ने सम्पूर्ण भारत में एक साथ सशस्त्र कांति के लिए अभिनव भारत समिति नाम का संगठन बनाया। पथिक जी को इस काम के लिए राजस्थान का जिम्मा सौंपा गया। अजमेर से प्रमुख समाचार पत्रों का सम्पादन और प्रकाशन प्रारम्भ किया। बिजौलिया का प्रसिद्ध किसान आन्दोलन, बेगू किसान आन्दोलन, सिरोही का भील आन्दोलन, बरार किसान आन्दोलन ये सब बडे किसान आन्दोलन पथिक जी के नेतृत्व में खड़े हुए। राजस्थान के स्वतंत्रता आन्दोलन का विस्तार कर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक ले गये। उस दौर के बड़े नेता गांधी और तिलक थे उन तक राजस्थान के स्वतंत्रता संघर्ष की पूरी योजना और परिणामों को पहुँचाया। ऐनी हडसन के जरिये ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में राजस्थान स्वतंत्रता संघर्ष की आवाज को उठाया। रियासतों के दमन और शोषण को समझाने वाली विशाल प्रदर्शनी अधिवेशन स्थलों पर आयोजित की। यह सब पथिक जी की दूरदृष्टि और नेतृत्व शैली को समझने के लिए पर्याप्त है। 1920 में वर्धा में राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई। इसके माध्यम से सत्याग्रह के प्रयोग शुरू किए। बाद में संघ की गतिविधियों का केन्द्र अजमेर बना। देशभक्त युवाओं को खोज-खोज कर आन्दोलन में शामिल किया गया। माणिक्य लाल वर्मा, राम नारायन चौधरी, हरिभाई किंकर, नैनूराम और मदनसिंह करौला जैसे देशभक्त और आजाद भारत के बड़े नेता पथिक जी के राजस्थान सेवा संघ की ही देन थे। 1929 में पथिक जी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। कार्यक्रम के अंत मे मुख्य सूत्र धार एडवोकेट अनिल चौहान और इंदर सिंह विधूड़ी ने सबको स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया! इंदर विधूड़ी ने सबका आभार व्यक्त किया! कार्यक्रम मे युवाओं की अच्छी उपस्थिति रही! एडवोकेट हंस खारी, हिमांशु, आशु विधूड़ी, प्रिया वरिष्ठ एडवोकेट राजपाल कसाना जी उपस्थित रहे!

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