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इंडिया गठबंधन का प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान-साधना पर विरोध अनुचित! स्वामी चक्रपाणि महाराज

रामानन्द तिवारी संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स नई दिल्ली।
नई दिल्ली। "ध्यान पूजन पर आपत्ति है तो मक्का-मदीना या जेरूसलम जाकर नमाज पढ़ें": स्वामी चक्रपाणि।
नई दिल्ली, 30 मई 2024: अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संत महासभा के प्रमुख स्वामी चक्रपाणि महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कन्याकुमारी स्थित स्वामी विवेकानंद रॉक पर ध्यान पूजन और साधना के खिलाफ इंडिया गठबंधन द्वारा उठाए गए आपत्तियों को कड़ी आलोचना की है। स्वामी चक्रपाणि महाराज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि इंडिया गठबंधन के नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान और साधना से समस्या है, तो वे स्वयं मक्का-मदीना या जेरूसलम जाकर नमाज पढ़ सकते हैं।

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी जी का ध्यान और साधना उनकी व्यक्तिगत आध्यात्मिकता का हिस्सा है और इसमें कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। उनके ध्यान और साधना का विरोध करना न केवल अनुचित है बल्कि अत्यंत निंदनीय भी है।" उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से देशवासियों को आध्यात्मिक प्रेरणा मिलती है और यह किसी भी प्रकार से विवाद का विषय नहीं होना चाहिए।

इंडिया गठबंधन पर तीखा हमला

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और तेजस्वी यादव सहित इंडिया गठबंधन के नेताओं पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यदि वे मोदी जी के ध्यान पूजन से असहमत हैं तो वे खुद मक्का-मदीना या जेरूसलम जाकर नमाज पढ़ सकते हैं। "हमारी संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं पर इस प्रकार का हमला किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है," उन्होंने जोर देकर कहा।

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने आगे कहा, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ सभी धर्मों का सम्मान होता है। हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्थाओं और साधनाओं का पालन करने का अधिकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान और साधना करना उनका व्यक्तिगत अधिकार है और इस पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

मोदी के ध्यान-साधना का महत्त्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद रॉक पर ध्यान पूजन और साधना करते हुए एक मजबूत संदेश दिया है। स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और सिद्धांतों पर आधारित यह स्थल भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण केंद्र है। मोदी जी ने यहाँ ध्यान करके युवाओं और देशवासियों को स्वामी विवेकानंद के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है।

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा,स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री मोदी का यहाँ ध्यान करना स्वामी विवेकानंद के प्रति श्रद्धांजलि है और इसका विरोध करना उनकी महानता का अपमान है।

राजनीति और आध्यात्मिकता

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने राजनीति और आध्यात्मिकता को अलग रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नेताओं को व्यक्तिगत धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें राजनीतिक विवादों से दूर रखना चाहिए। "ध्यान और साधना एक व्यक्ति का निजी मामला है और इसे राजनीति का मुद्दा बनाना अनुचित है।" उन्होंने अपील की कि सभी नेता इस प्रकार की विवादास्पद टिप्पणियों से बचें और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में योगदान दें।

स्वामी चक्रपाणि महाराज के इस बयान के बाद यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ध्यान पूजन और साधना के विरोध पर देशभर में आक्रोश है और जनता ऐसे मुद्दों पर राजनीति करने वालों के खिलाफ खड़ी है।

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