ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की खुली आंखे, आंख खुलने का खामियाजा भुगते गा आम जन और किसान, जब जिस क्षेत्र में अवैध निर्माण होता है तो प्राधिकरण कोई कार्रवाई नहीं करता उसके कर्मचारी जेब भरने में लगे रहते हैं। केवल वही कार्रवाई होती है जहां पर भ्रष्टाचार की काली कमाई नहीं आती कमाई आरंभ तो अवेध निर्माण तोड़ना बंद उदाहरण के तोर पर डूब छेत्र, समतल कंपनी और सहारा कंपनी आदि आप उदाहरण देख सकते हैं। नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में अवैध निर्माण करने वालों पर प्राधिकरण ने कार्रवाई और तेज कर दी है। प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया के साथ ही डूब क्षेत्र में भी अवैध निर्माण करने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से करीब 350 गरीब किसान लोगों को नोटिस जारी की गई है, जिसमें अवैध निर्माण को तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा न करने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा।
दरअसल, ग्रेटर नोएडा के अधिसूचित एरिया में प्राधिकरण की अनुमति के बगैर निर्माण नहीं किया जा सकता है। इस बाबत प्राधिकरण की तरफ से लगातार जानकारी भी दी जाती है, लेकिन खुद के आशियाने के मोह में कुछ लोग कालोनाइजरों के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई को फंसा ले रहे हैं। अवैध कालोनियों में जमीन खरीदकर घर बनाने की कोशिश करते हैं। संज्ञान में आते ही प्राधिकरण इन अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई तब करता है जब अवेध निर्माण हो चुका होता । अतिक्रमण पर प्रभावी कार्रवाई करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने अभियान चलाकर निर्माण तोड़ने के निर्देश दिए हैं। ध्वस्तीकरण से पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अवैध निर्माण करने वाले 350 लोगों को धारा 10 के अंतर्गत नोटिस जारी की है, जिसमें अवैध निर्माण को तत्काल हटाने के निर्देश दिए गए हैं। प्राधिकरण के परियोजना विभाग के वर्क सर्किल एक व दो की तरफ से ये नोटिसें जारी की गई हैं। इनमें हिंडन किनारे डूब क्षेत्र में हैबतपुर की जमीन पर लगभग 176 अवैध निर्माण करने वाले भी शामिल हैं। क्या डूब छेत्र में केवल 176 ही अवेध निर्माण है विचार करने की बात है। शेष नोटिसें सुनपुरा गांव की हैं। इससे पहले भी कई गांवों में अवैध निर्माण करने पर प्राधिकरण की तरफ से नोटिसें जारी कर कार्रवाई की गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ अन्नपूर्णा गर्ग ने साफ किया है अधिसूचित एरिया में किसी को भी निर्माण करने की अनुमति नहीं है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। कठोर कार्रवाई केवल गरीब किसानों पर ही क्यों प्रोपर्टी डीलर, कम्पनी और फर्जी डेवलपर्स क्यों नहीं?
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