ग्रेटर नोएडा, 6 मई 2024: फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के डॉक्टरों ने घुटनों में गठिया ऑस्टियोआर्थराइटिस और बो-लेग के कारण चलने में परेशानी और तेज दर्द से जूझ रही 63 साल की सुनीता, जिनका वेट 102 किलो था उनके दोनों घुटनों का सफल प्रत्यारोपण कर उन्हें नई जिंदगी प्रदान की है। ऑपरेशन के दूसरे दिन ही वह अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो गई।इस महिला रोगी का अधिक वजन और बीमारी की वजह से चलने में बहुत दिक्कत होती थी। फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक्स डॉ. भरत गोस्वामी बताते हैं, "मरीज को दोनों घुटनों में ऑस्टियोआर्थराइटिस था। इस बीमारी में घुटने के जोड़ों के बीच के सुरक्षात्मक आवरण कार्टिलेज खराब हो जाते हैं। इसके साथ ही, इस महिला के पैरों में एक विकृति थी जिसके कारण उनके घुटने मुड़े हुए थे, जिन्हे बो-लेग कहा जाता है। इससे उनको काफी दर्द होता था और उनका चलना-फिरना बहुत मुश्किल हो गया था।"
102 किलो का वजन, सर्जरी में था प्रमुख चुनौती
डॉक्टर गोस्वामी आगे बताते हैं कि इतना अधिक वजन सर्जरी के लिए एक चुनौती थी, आमतौर पर ऐसे में घुटनों का प्रत्यारोपण करना मुश्किल होता है क्योंकि बोन की क्वालिटी आमतौर पर बहुत खराब होती है, मांस ज्यादा होता है और हड्डी कमजोर होती है। इससे ऑपरेशन में भी मुश्किल आती है। बीवीटी, फैट एम्बोलिज्म की संभावना बनी रहती है। साथी इस तरह के मरीजों को स्पेशल केयर की जरूरत पड़ती है।
वह आगे बताते हैं कि महिला ने यहां आने से पहले और भी जगह सलाह ली थी जहां अधिक वजन की वजह से उन्हें सर्जरी के लिए मना कर दिया गया था, मैंने इसे चुनौती की तरह लिया और इस 63 वर्षीय महिला के दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण कर दिया। ऑपरेशन सफल रहा और वो तेजी से रिकवर कर रहीं हैं, ऑपरेशन के बाद उनको थोड़ी सांस लेने में तकलीफ थी जिस वजह से उनको अस्पताल में कुछ दिन निगरानी में रखना पड़ा। हालत में सुधार आने पर उनके बेहतर होते स्वास्थ्य को देखते हुए अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। *सीवियर ऑस्टियोआर्थराइटिस मुश्किल कर देता है चलना-फिरना* घुटनों के सीवियर ऑस्टियोआर्थराइटिस पर बात करते हुए डॉ गोस्वामी ने बताया कि इन महिला मरीज के दोनों घुटनों में गठिया था। यहां 'सीवियर' शब्द का मतलब ही है कि उनके घुटनों के जोड़ खराब हो चुके थे। ऐसे मामलों में दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण बेहद लाभदायक होता है। मरीज को दर्द और अकड़न में बहुत आराम मिलता है और वो फिर से चल-फिर पाते हैं। इससे मरीज़ उन गतिविधियों को दोबारा कर पाते हैं, जिन्हे घुटनों के दर्द की वजह से उन्होंने छोड़ दिया था। इससे मरीजों के जीवन जीने की गुणवत्ता में बहुत सुधार आता है।फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के सीईओ डॉ प्रवीण कुमार ने बताया, "इस मरीज को दोबारा चलने-फिरने में मदद करने में डॉ गोस्वामी की विशेषज्ञता और उनकी पूरी टीम के समर्पण पर हमें गर्व है। यह मामला इस बात का प्रमाण है कि हम जटिल आर्थपैडिक्स बीमारियों के रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देने के लिए सदैव प्रतिबद्ध हैं।"
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