ग्रेटर नोएडा।शारदा विश्वविद्यालय ने बहु-विषयक शोधकर्ताओं समूह के साथ एक पैनल चर्चा में नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने में बौद्धिक संपदा अधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानने के लिए विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया ।इस अवसर पर विश्वविद्यालय डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार ने एक गोलमेज बैठक को संबोधित करते हुए इस वर्ष के विश्व बौद्धिक संपदा दिवस की थीम रचनात्मकता के साथ हमारे सामान्य भविष्य का निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें फिर से सोचने की जरूरत है कि हम कैसे रहते हैं, काम करते हैं और प्रदर्शन करते हैं। विश्व आईपी दिवस यह पता लगाने का एक अवसर है कि बौद्धिक संपदा (आईपी) कैसे उन नवीन और रचनात्मक समाधानों को प्रोत्साहित करती है और बढ़ा सकती है। जो हमारे राष्ट्र के निर्माण के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस दिन युवा शोधकर्ताओं को आईपीआर के महत्व पर जोर दिया। प्रकाशित और प्रदत्त पेटेंट के व्यावसायीकरण के लिए एक मॉडल और रोडमैप बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसलिए विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण पेटेंट दाखिल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। व्यापक प्रचार के लिए युक्ति पोर्टल पर नवाचारों को अपलोड करने और शारदा विश्वविद्यालय पेटेंट के व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए उद्योगों को आकर्षित करने पर भी जोर दिया गया। इस दौरान प्रोफेसर बीसी त्रिपाठी, प्रो अमित सहगल, प्रो पीके सिंह, प्रो राहुल सक्सेना, प्रो अशोक कुमार, डॉ मोहित साहनी, प्रो एनबी सिंह, प्रो खुर्शीद आलम ने अपने विचार प्रस्तुत किए। विश्वविद्यालय के पास 575 से अधिक प्रकाशित और 125 स्वीकृत पेटेंट, 225 डिज़ाइन पंजीकरण और 75 कॉपीराइट अधिकार हैं। आईपीआर पोर्टफोलियो की देखभाल के लिए विश्वविद्यालय ने आईपीआर सेल की स्थापना की है।
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