नोएडा, पावन फाल्गुन मास में ब्रह्मलीन पूज्य महर्षि महेश योगी जी के दैवीय आशीर्वाद से राष्ट्र की समृद्धि, शांति एवं विकास के लिए आयोजित श्री शिव महापुराण कार्यक्रम के दूसरे दिन श्री सद्गुरूनाथ जी महाराज भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि श्री शिव महापुराण कल्प वृक्ष के समान है, जो इसे जिस कामना के साथ सुनता है; उसकी वह कामना पूरी होती है। मीडिया प्रभारी ए के लाल ने बताया श्री शिव जी जब अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं तो वह उसे सब कुछ प्रदान कर देते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी बड़े प्रयास की जरूरत नहीं है। वह तो केवल सच्ची श्रद्धा और भक्ति के अधीन है। श्री शिव महापुराण कथा पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा के दौरान श्री सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि दुख की घड़ी में भगवान शिव के पास एक लोटा जल, चावल के दाने और बेलपत्र के साथ महादेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। महादेव को कुछ नहीं चाहिए बल्कि केवल आपकी श्रद्धा चाहिए। आपका व्रत, दान, पुण्य बाद में फलेंगे, भगवान को चढ़ाया समर्पण, बेलपत्र, अक्षत, जल का फल जीवन भर मिलेगा। जीवन की यात्रा में सभी समस्याओं के निवारण के लिए मात्र एक लोटा जल और श्रद्धा भाव का होना जरुरी है। कथा के क्रम में आगे उन्होंने कहा कि श्री शिव महापुराण पारस की तरह है, जो लोहे से छूकर उसे सोना बना देती है। श्री शिव महापुराण 18 पुराणों में से एक है, जिसमें भगवान शिव की लीलाओं और कथाओं का वर्णन मिलता है। इस महापुराण में श्री शिव जी की महिमा को कथाओं के रूप में बताया गया है। ऐसे में यदि आप श्री शिव महापुराण का पाठ करते हैं तो इससे आपको अनेक लाभ मिल सकते हैं, लेकिन इसके कुछ जरूरी नियमों को भी जानना जरूरी है।
गौरतलब है कि संतानहीन लोगों को श्री शिव महापुराण की कथा से सतांन की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही गंभीर रोगों से भी समस्त परिवार के मुक्ति मिलती है। श्री शिव महापुराण में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि श्री शिव महापुराण के श्रवण करने वाले साधकों को शिवलोक में स्थान मिलता है। इस कथा को सुनने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।श्री शिव महापुराण कथा के पावन अवसर के दूसरे दिन श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव, अध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान और कुलाधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नालोजी, श्री राहुल भारद्वाज, उपाध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान और श्री शिव महापुराण कथा कार्यक्रम के संयोजक रामेन्द्र सचान और गिरीश अग्निहोत्री एवं प्रबंध समिति के सभी सदस्य व महर्षि संस्थान के वरिष्ठ सदस्यों सहित हजारों भक्त उपस्थित थे।
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