रामानन्द तिवारी संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स दिल्ली।
दिल्ली। टीएमसी नेता रामेंद्र सिन्हा ने राम मंदिर को "अपवित्र" बताते हुए हिंदू समुदाय की भावनाओं को उफान पर ला दिया है। इस उत्तराधिकारी नेता के विवादास्पद बयान ने राजनीतिक वातावरण में तब्दीली का माहौल उत्पन्न किया है।
सिन्हा के बयान ने हिंदू समाज में आक्रोश और आलोचना का वातावरण बना दिया है। उनके बयान को "निंदनीय" और "असहिष्णु" ठहराते हुए, संत महासभा/ अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने मुख्य निर्वाचन आयोग से टीएमसी की मान्यता को रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि इसका उचित जवाब देने के लिए निर्वाचन आयोग को कठिन निर्णय लेना होगा ताकि देश की अन्य राजनीतिक दल भी हिंदू विरोधी बयान देने से पहले सोचे सबक लें।
इस घटना ने राजनीतिक तटस्थता के सवालों को उठा दिया है। क्या है नेताओं के धर्मनिरपेक्षता के प्रति दायरा? क्या है समाज के इस विवादपूर्ण बयान के परिणाम? सामाजिक और राजनीतिक खिचड़ी में नवीनतम घटनाओं ने जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
टीएमसी नेता के बयान के प्रति समाज के आक्रोश के साथ, नेताओं के बयानों के प्रति भी आक्षेप बढ़ा है। राजनीतिक दलों के धर्मनिरपेक्षता और उदारता के मामले में सवालों की बारिश हो रही है, जो आने वाले समय में और भी तेज हो सकती है।
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