प्रेस विज्ञप्ति
मार्च 19, 2024
गौतमबुद्धनगर।एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ न्यूरोसाइकोलॉजी एंड न्यूरोसांइसेस द्वारा ‘‘ कशेरूकी और अकशेरूकी प्रयोगशाला मॉडल जीवों का उपयोग करके न्यूरोव्यवहार अध्ययन ’’विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डा शंशाक शरद काले, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग के सांइस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के नेशनल साइंस चेयर प्रो सुब्रत सिन्हा, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ न्यूरोसाइकोलॉजी एंड न्यूरोसांइसेस के निदेशक डा बी एन मलिक द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न संस्थानों से 24 शोधार्थियों ने हिस्सा लिया जिन्हे विशेषज्ञों द्वारा सैद्धांतिक और प्रयोगिक जानकारी प्रदान की जायेगी।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डा शंशाक शरद काले ने ‘‘मस्तिष्क में घाव के प्रभाव और प्रबंधन में नया विकास’’ पर संबोधित करते हुए कहा कि मस्तिष्क के घाव, मस्तिष्क उतक के क्षतिग्रस्त या असामान्य क्षेत्र है। जो मस्तिष्क के कार्य के कार्य को प्रभावित करते है जिससे कई प्रकार के लक्षण, कमजोरी, एक या अधिक इंद्रियों में व्यवधान या भ्रम आदि उत्पन्न होते है। डा काले ने कहा कि मस्तिष्क टयूमर, अपक्षयर मस्तिष्क रोग जैसे पार्किसंस, दौरे और मिग्री, संवहनी घाव, मस्तिष्क की चोटें, संक्रमण, पक्षाघात और आदि मस्तिष्क घाव के प्रकार है। उन्होनें कहा कि न्यूरोसर्जरी में नई मशीनों से बृहद परिवर्तन आया है। उन्होनें इन्ट्राआपरेटिव एमआरआई गाइडेड नैविगेशन, इन्ट्राआपरेटिव वैलिडेशन यूएसजी, न्यूरोनैविगेशन, एंडवास स्टीरियोटैक्टीक बायोप्सी टूल्स, इन्ट्राआपरेटिव न्यूरोमॉनिटरिंग, प्रिआपरेटिव स्पीच एंड मोटर मैपिंग, मोटर स्पीच एरिया सहित डीआरई के प्रभाव, असाध्य मिग्री के कारण, सर्जरी के विभिन्न प्रकार, गामा नाइफ रेडियोसर्जरी के बारे में बताया। डा काले ने कहा कि अंतःविषयक प्रबंधन टीम जिसमें न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, न्यूरो रेडियालॉजी, न्यूरोपैथोलॉजी आदि शामिल होते है बेहद महत्वपूर्ण है।एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथियों और प्रतिभागीयों को संबोधित करते हुए कहा कि कई क्षेत्र मेे हो रहे विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का मिश्रण नई क्रांति ला रहा है। आज हमारा देश आप जैसे शोधार्थियों और वैज्ञानिक की बदौलत मेडिकल के क्षेत्र में अग्रणी पायदान पर है। एमिटी द्वारा आयोजित इस पांच दिवसीय कार्यशाला आप सभी को आधुनिक तकनीकीयों एवं जानकारीयां प्रदान करना है और प्रतिभागियों को व्यवसायिक जीवन में अवश्य लाभ होगा।भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग के सांइस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के नेशनल साइंस चेयर प्रो सुब्रत सिन्हा ने संबोधित करते हुए कहा कि महामारी विज्ञान अध्ययन के अनुसार प्रभावित माता पिता के बच्चे में डिस्लेक्सिया विकसित होने के सापेक्ष जोखिम लगभग 40 से 60 प्रतिशत होता है। डिस्लेक्सिया अंततः जीन पर्यावरण अंतः क्रियाओं के परिणामस्वरूप प्रकट होता है। जिसमें कई सारे जीन का योगदान होता है। प्रो सिन्हा ने कहा कि एमिटी में आयोजित इस प्रकार की कार्यशाला प्रतिभागियों के शोध कार्य में सहायक होगी और उनका मार्गदर्शन भी होगा।एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि इस प्रकार की व्यापक कार्यशाला न्यूरोव्यवहार के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायता करेगी। अनुसंधान और प्रौद्योगिकी किसी भी राष्ट्र के निर्माण के लिए आवश्यक है, विकसित भारत मिशन की सफलता के लिए हमें समझना होगा कि हम विश्व बंधु कैसे बनेगें, उच्च शिक्षण संस्थानो की महत्वपूर्ण भूमिका और उद्योगो के साथ सहभागीता, कौशल के विकास में अकादमिक की भूमिका को भी समझना होगा। यह कार्यशाला आपको समसायिक चुनौतियों के निवारण और आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी।
कार्यशाला में एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूती द्वारा एमिटी द्वारा संचालित किये जा रहे शोध कार्यक्रम, प्रयोगशालाओं सहित अन्य सुविधाओं की जानकारी दी।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ न्यूरोसाइकोलॉजी एंड न्यूरोसांइसेस के निदेशक डा बी एन मलिक ने कहा कि इस कार्यशाला में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब, जीवविज्ञान विभाग, बीएचयू, जामिया हमर्दद विश्वविद्यालय, डा बी आर अंबेडकर सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च, दिल्ली विश्वविद्यालय आदि से लगभग 24 प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया है जिन्हे विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की जायेगी।
इस अवसर पर गर्वनिंग बॉडी ऑफ एमिटी यूनिवर्सिटी के सदस्य लेफ्ट जनरल (डा) के एम सेठ, एमिटी विश्वविद्यालय के हेल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डा बी सी दास भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला की ऑरगनाइजिंग सेक्रेटरी डा रचना मेहता द्वारा किया गया।
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